नई दिल्ली/बेंगलुरू, 17 मई
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में सरकार गठन पर रोक के लिए कांग्रेस-जद(एस) की याचिका पर रातभर चली असामान्य सुनवाई के बाद अाज भाजपा नेता बी.एस. येदियुरप्पा के कनार्टक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने याचिका पर कल देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुनवाई शुरू की, जो कि करीब साढ़े तीन घंटे चली। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि शपथग्रहण और सरकार गठन उसके समक्ष मामले की सुनवायी के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
यह अादेश बेंगलुरू में शपथग्रहण से वुछ घंटे ही पहले अाया, जहाँ 75 वर्षीय येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले थे। वहीं कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन 117 विधायकों के समर्थन से बहुमत होने का दावा कर रहा है, जबकि भाजपा के पास 104 विधायक हैं।
न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति एस.के. बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने मामले की अगली सुनवायी कल सुबह करना तय किया। पीठ ने अादेश दिया कि भाजपा ने कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा करने के लिए राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला के समक्ष विधायकों के समर्थन का जो पत्र दिया है वह उसके समक्ष पेश किया जाए।
पीठ ने कहा कि वह पत्र का अवलोकन करेगी, वÌयोंकि मामले पर निर्णय करने के लिए यह जरूरी है। पीठ ने इसके साथ ही कर्नाटक सरकार और येदियुरप्पा को भी नोटिस जारी किये।
पीठ ने कहा कि जहाँ तक शपथग्रहण का सवाल है, तो हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं, लेकिन उसे मामले के निर्णय के अधीन कर रहे हैं।
पीठ द्वारा अादेश सुनाने से पहले कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ अधिववÌता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि वह अंतिम अादेश नहीं सुनाये और उन्होंने इसमें अागे बहस करने की इजाजत माँगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास 104 विधायक हैं और राज्यपाल ने येदियुरप्पा को असंवैधानिक तरीके से सरकार बनाने के लिए अामंत्रित किया।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र ने मध्य रात्रि के बाद कांग्रेस-जद(एस) की तत्काल सुनवायी की माँग वाली याचिका के लिये इस पीठ का गठन किया। पीठ ने जानना चाहा कि वÌया वह राज्यपाल को किसी पार्टी को सरकार बनाने से अामंत्रित करने से रोक सकती है, इस पर सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसा पूर्व में किया है।
अदालत ने सुनवायी के दौरान यह भी पूछा कि वÌया यह परंपरा नहीं है कि अकेली सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने के लिए अामंत्रित किया जाता है।
पीठ ने सवाल किया कि उच्चतम न्यायालय के रोक वाले अादेश से वÌया राज्य में एक संवैधानिक संकट उत्पन्न नहीं होगा।