मंदिरों के शहर कालेश्वरम में 2025 में सरस्वती पुष्करालु का आयोजन करेगी सरकार

हैदराबाद, सरकार तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित मंदिरों के शहर कालेश्वरम में एक और प्रमुख धार्मिक समागम सरस्वती पुष्करालु का आयोजन करने जा रही है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन कालेश्वर मुत्तेश्वर स्वामी मंदिर के लिए लोकप्रिय है।

ऐसा माना जाता है कि सरस्वती नदी गोदावरी और प्राणहिता के नीचे बहती है और इन तीन नदियों के संगम को त्रिवेणी संगम कहा जाता है। सरस्वती पुष्करालु 2025 की शुरुआत में होगा और तारीख पंडितों द्वारा तय की जाएगी।

इस संबंध में धर्मस्व मंत्री कोंडा सुरेखा ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें शुरू कर दी हैं, क्योंकि 12 साल में एक बार मनाए जाने वाले पुष्करालु में तेलंगाना के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ से लाखों भक्तों के आने की उम्मीद है। शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान सुरेखा ने अधिकारियों को पक्के स्नान घाट, पंडाल, चेंजिंग रूम, विश्राम कक्ष बनाने तथा तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए अस्थायी आश्रय उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया।

मंत्री ने अधिकारियों से कार्यक्रम से पहले नदी और उसके किनारों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाने को भी कहा। तीर्थयात्रियों के प्रबंधन पर सुरेखा ने कानून लागू करने वाली एजेंसियों से भीड़भाड़ से बचने के लिए निर्धारित प्रवेश और निकास बिंदुओं पर भीड़ नियंत्रण की योजना बनाने को कहा। उन्होंने अधिकारियों से पुष्करालु के सभी 12 दिनों में आध्यात्मिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आध्यात्मिक नेताओं द्वारा धार्मिक प्रवचन आयोजित करने को कहा। स्वच्छता पर जोर देते हुए सुरेखा ने नगर निगम के कर्मचारियों से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने, मंदिर और नदी के क्षेत्र को नियमित तौर पर साफ करने को कहा। उन्होंने सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्यटन, स्वास्थ्य, पुलिस, जल संसाधन, नगर निगम और परिवहन जैसे विभिन्न विभागों के साथ पूर्ण समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया।

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