मूसी नदी की सफाई अनिवार्य, प्रभावितों का सर्वे हो : कोर्ट
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मूसी नदी की सफाई को अनिवार्य बताते हुए मंगलवार को मूसी नदी के किनारे अनधिकृत निर्माणों को हटाने के संबंध में राज्य सरकार को व्यापक निर्देश जारी किए, ताकि प्रभावित होने वालों का हित भी प्रभावित न हो। यह आदेश उन निवासियों द्वारा लगभग 46 रिट याचिकाओं के दाखिल किए जाने के बाद आया है, जिनकी संपत्ति मूसी नदी के फुल टैंक लेवल (एफटीएल) और बफर जोन के भीतर आती है और वे प्रस्तावित मूसी रिवरफ्रंट विकास परियोजना से प्रभावित हो रहे हैं।
न्यायालय ने राजस्व विभाग को प्रभावित निवासियों का विस्तृत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उन्हें सरकारी नीतियों के अनुसार उपयुक्त आवासों में स्थानांतरित किया जाए। अधिकारियों को एफटीएल, रिवर बेड जोन और बफर जोन से अवैध अतिक्रमणों को हटाने और मूसी नदी को सीवेज से दूषित होने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया।न्यायालय ने अवैध कब्जे की शिकार भूमि अन्यथा पट्टारहित शिकम भूमि के रहने पर संबंधित लोगों को जानकारी देने या इसके मालिक को नोटिस जारी कर कानून के तहत आर्थिक मुआवजे का भुगतान कर भूमि का अधिग्रहण करने के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए। मूसी नदी को पुनर्जीवन देने के तहत इसके आस-पास रहने वाले लोगों के मकान खाली करने, मकान ढहाने को चुनौती देते हुए दायर 46 याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस सी.वी. भास्कर रेड्डी ने सुनवाई पूर्ण कर आज अपना फैसला सुनाया। एक ही मामले से संबंधित याचिकाएँ होने के कारण इन्हें इकट्ठा कर इस मामले में मकान खाली करने और अवैध कब्जों को ढहाने के संबंध में उच्च न्यायालय ने दिशा-निर्देश जारी किए, जिन्हें संबंधित अधिकारियों को पालन करना होगा।
दिशा-निर्देशों के तहत मूसी नदी के बफर जोन, एफटीएल, रिवर बेड जोन में अवैध कब्जे, अवैध निर्माण को हटाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। अवैध कब्जेदारों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जानी होगी।