वक्फ बिल पर रेवंत को मुसलमानों की भावनाओं से अवगत कराएंगे शब्बीर
हैदराबाद, तेलंगाना के मुस्लिम धार्मिक और सामुदायिक नेताओं ने सर्वसम्मति से प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने और उसे खारिज करने के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया। तेलंगाना सरकार के सलाहकार मुहम्मद अली शब्बीर ने सोमवार को तेलंगाना सचिवालय में प्रतिष्ठित धार्मिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, कानूनी विशेषज्ञों, प्रमुख मौलवियों, पत्रकारों और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक पर बैठक की, जिसमें प्रतिभागियों ने प्रस्तावित वक्फ विधेयक का जमकर विरोध किया।
बैठक में वक्फ विधेयक के विभिन्न विवादास्पद खंडों और वक्फ संस्था पर उनके प्रभाव को लेकर चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने बताया कि प्रस्ताव केवल एक संशोधन नहीं है, बल्कि मौजूदा कानून को पूरी तरह से बदलने का प्रयास है। प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि देशभर में वक्फ संस्थानों को समाप्त करने की साजिश की गयी है। मुस्लिम नेताओं ने आशंका जताई कि अगर प्रस्तावित संशोधन लागू किया जाता है, तो इससे वक्फ संपत्तियों को नुकसान होगा। शब्बीर अली ने अपने संबोधन में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को विधेयक को जेपीसी में भेजने के लिए मजबूर करने में प्रभावी नेतृत्व करने के लिए विपक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने तत्परता दिखाते हुए आठ अगस्त को लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने से पहले इंडिया ब्लॉक के सभी सांसदों की बैठक बुलाई। परिणाम स्वरूप भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को जेपीसी की मांग स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मुस्लिम नेताओं ने आशंका व्यक्त की कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार वक्फ संस्थानों के दिन-प्रतिदिन के मामलों पर अपना नियंत्रण बढ़ाकर, वक्फ सर्वेक्षण आयोगों, वक्फ न्यायाधिकरणों और वक्फ बोर्डों को कमजोर करके शरीयत में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने प्रस्तावित संशोधन के माध्यम से वक्फ संपत्तियों को सरकारी संपत्ति के रूप में लेने के प्रयास के लिए केंद्र की आलोचना की। शब्बीर अली ने आश्वासन दिया कि वे सभी प्रतिभागियों के विचारों और भावनाओं से मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को अवगत कराएंगे और उन्हें राज्य सरकार की ओर से जेपीसी का आधिकारिक प्रतिनिधित्व करने के लिए मनाएंगे।
मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को उकसाना और विभिन्न संप्रदायों के बीच दरार पैदा करना है। वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों के प्रस्तावित अनिवार्य समावेश पर भारी आपत्ति जताते हुए प्रश्न किया कि क्या केंद्र मंदिरों के प्रबंधन में गैर-हिंदुओं को शामिल करने के लिए बंदोबस्ती अधिनियम में संशोधन करेगा। वक्फ बोर्डों को अपामण की गई वक्फ संपत्तियों को पुन प्राप्त करने का अधिकार देने के लिए मौजूदा कानून को मजबूत करने के बजाय केंद्र जिला कलेक्टरों को यह तय करने के लिए अधिकृत करने का प्रयास कर रहा है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। तेलंगाना वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अजमतुल्लाह हुसैनी ने सभा को सूचित किया कि वक्फ बोर्ड की विशेष बैठक 29 अगस्त को बुलाई जाएगी, जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विस्तृत प्रस्ताव पारित किया जाएगा।