स्वस्थ चिकित्सा के लिए डॉक्टर सीख रहे हैं ऑनलाइन कौशल

हैदराबाद, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में लाखों रील इंटरनेट पर भरे पड़े हैं, लेकिन वास्तविक रूप से वह जानकारी चिकित्सा के लिए स्वस्थ है या नहीं, यह प्रमाणित करने का समय किसी के पास नहीं है। इस दिशा में चिकित्सक से डिजिटल कंटेंट मार्गदर्शी बनी डॉ. मणि पवित्रा ने नया अभियान शुरू किया। उन्होंने डिजिटल स्पेस में स्वस्थ जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देश भर के डॉक्टरों को ऑनलाइन उपस्थिति का कौशल प्रदान करने लिए बूट कैंप शुरू कियक्ष है। उनका पहला बूट कैंप काफी सफल रहा।

जुबली हिल्स में विभिन्न प्रकार के 20 से अधिक प्रशिक्षण कमरों के साथ विभिन्न पेशेवरों को डिजिटल क्षेत्र में रचनात्मक गतिविधियों का प्रशिक्षण कराने में सक्रिय डॉ. मणि पवित्रा ने मिलाप को बताया कि अधिकतर डॉक्टर 12 घंटे से अधिक काम करते हुए लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन डिजिटल दुनिया में जितनी तेज़ी से अस्वस्थ और अप्रमाणित प्रथाओं का प्रचार हो रहा है, उससे वह अनभिज्ञ हैं। उन्हें इस क्षेत्र में सामाजिक भूमिका निभाते हुए योगदान देने की आवश्यकता है।

इसी उद्देश्य से साथ उन्होंने एक बूट कैंप का आयोजन किया, जिसमें तेलंगाना, आंध्र-प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश एवं देश के अन्य राज्यों से डॉक्टरों ने भाग लिया। इनमें महिला एवं बाल चिकित्सा विशेषज्ञ, कैंसर विशेषज्ञ, सामान्य चिकित्सक सहित विभिन्न विशेषज्ञता वाले डॉक्टर शामिल थे। अगले दो बूट कैंप की तैयारी पूरी कर ली गयी है। इसमें डॉक्टरों को अनुभवों के आधार पर प्रमाणित वीडियो रील बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

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डॉक्टरों को डिजिटल मंच पर सशक्त बनाने की पहल

प्रशिक्षण के दौरान ही एक साथ 50 से 100 या उससे अधिक वीडियो बनाए जाते हैं, जिनमें मरीज़ों की देखभाल, रोग से बचने के उपाय सहित विभिन्न अवस्थाओं में मरीज़ों के लिए लाभदायक सुझाव शामिल होते हैं। डॉ. पवित्रा ने बताया कि डॉक्टर बनने के लिए लगभग पंद्रह साल की पढ़ाई और उसके बाद बीस से तीस साल के अनुभव को बावजूद कई चिकित्सक कैमरे का सामना करते हुए अनुभवों को साझा करने तथा मुद्दे की बात 30 से 60 सेकंड में बोल पाने में सहज नज़र नहीं आये, लेकिन जब उन्होंने कैंप के दौरान एक दूसरे से सीखा, तो उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ और वह अपने अनुभव से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जगत की जानकारियों को डिजिटल एवं ऑनलाइन क्षेत्र में प्रामाणिक बनाने के लिए तैयार हुए।

इस बूट कैंप का नाम उन्होंने क्लीनिक टू कैमरा रखा है। इस पहल का उद्देश्य डॉक्टरों को कैमरे के सामने आत्मविश्वास से कदम रखने और अपनी आवाज़, कहानी, विशेषज्ञता और सहानुभूति को दुनिया के साथ साझा करने के लिए सशक्त बनाना है। भाषा से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि वह मरीज़ की भाषा जानते हों।

इसलिए भारत में काम करने वाले डॉक्टर अंग्रेज़ी चाहे जितनी अच्छी जानते हों, लेकिन उन्हें उस देशी और जनसामान्य की भाषा में अपनी बात कहने में सक्षम होना अनिवार्य है, जो मरीज़ बोलते-समझते हैं। उन्होंने कहा कि यदि वास्तविक डॉक्टर प्रमाण आधारित बात नहीं करेंगे, तो नकली डॉक्टर आधी-अधूरी, अवैज्ञानिक और अविश्वसनीय जानकारी के साथ ऑनलाइन स्पेस को भर देंगे, जिससे बीमारियों की रोकथाम के बजाय उल्टा प्रभाव होगा और फर्जी स्वास्थ्य सामग्री महामारी की तरह बढ़ती जाएगी।

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