अखिल भारतीय तकनीकी राजभाषा सम्मेलन उन्मेष-2025 आरंभ
हैदराबाद, भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन), मुख्यालय और आरसीआई (अनुसंधान पेंद्र इमारत) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय द्वितीय अखिल भारतीय तकनीकी राजभाषा सम्मेलन उन्मेष-2025 का शुभारंभ आज विश्व हिन्दी दिवस पर आरसीआई के भव्य सभागफह में हुआ। राजभाषा विभाग गफह मंत्रालय, नई दिल्ली की सचिव अंशुली आर्या, आईएएस बतौर मुख्य अतिथि और रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
आज यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में उक्ताशय की जानकारी देते हुए आरसीआई के सहायक निदेशक (राजभाषा) काज़िम अहमद ने बताया कि राष्ट्रगान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात डीआरडीओ गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया। सरस्वती वंदना गीत पर कुमारी तन्मयी ने नफत्य प्रस्तुत किया। मास्टर वेद प्रज्ञान और मास्टर वेदा कार्तिकेय ने प्रार्थना गीत प्रस्तुत किया। अतिथियों का पौधों से स्वागत किया गया।
आरसीआई के विशिष्ट वैज्ञानिक एवं निदेशक अनिंद्य बिस्वास ने स्वागत भाषण में देशभर से पधारे शोध प्रस्तुतकर्ताओं को विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि डीआरडीओ मुख्यालय ने इस बार आरसीआई को द्वितीय अखिल भारतीय तकनीकी राजभाषा सम्मेलन करने की जिम्मेदारी सौंपी है। सम्मेलन में विचार-विमर्श से हिन्दी के कार्यों को बल मिलेगा।
उत्वफढष्ट वैज्ञानिक एवं निदेशक, संसदीय कार्य, राजभाषा एवं संगठन पद्धति निदेशालय (डीपीआरओ एंड एम) के सुनील शर्मा ने सम्मेलन का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि सम्मेलन का पहला आयोजन पिछले वर्ष सीवीआरडीई, चेन्नई में किया गया। यह मुख्यालय एवं प्रयोशाला का संयुक्त प्रयास है। हिन्दी के प्रति जागरूकता तथा प्रौद्योगिकी के लिए हिन्दी को एक व्यापक मंच प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है। हिन्दी भाषा ही नहीं, हमारी संस्वफढति है, जिसमें पूरे राष्ट्र को जोड़ने की शक्ति निहित है। आज विश्व स्तर पर हिन्दी की पहचान है। यह अत्यंत ही हर्ष का विषय है कि 30-35 से अधिक हिन्दी पत्रिकाएँ संपूर्ण विश्व में प्रकाशित हो रही हैं। हिन्दी ही नहीं देश की सभी 22 संविधान स्वीवफढत भाषाएँ सशक्त हैं। सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्रों की भाषा सरल है, जो हर श्रोता के लिए आसानी से समझने योग्य है। उन्होंने राजभाषा की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा काम हिन्दी में करें। जल्दी ही हमारी शोध की भाषा हिन्दी होगी।
सम्मेलन की स्मारिका के दोनों भागों का विमोचन मुख्य अतिथि अंशुली आर्या ने किया। आरसीआई की इमारत पत्रिका के द्वितीय तकनीकी अंक का विमोचन और देशभक्ति गीतों की सीडी का विमोचन मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया। विशिष्ट वैज्ञानिक एवं महानिदेशक (एमएसएस) यू. राज बाबू ने कहा कि देश बहुत ही तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।हमें आगे बढ़ने के लिए समय के साथ चलना बहुत ज़रूरी है। डीआरडीओ द्वारा तकनीकी शब्दावली का प्रकाशन भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण कदम है। जितने भी विकसित देश हैं, वह अपनी भाषा का प्रयोग करते हैं, हमें भी अपनी भाषाओं के विकास पर बल देना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डॉ. समीर वी कामत ने सभी को विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया है। डीआरडीओ प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी को बढ़ाने का कार्य निरंतर कर रहा है। आज के सम्मेलन के लिए 175 शोध पत्र प्राप्त होना एक उपलब्धि मानी जाएगी। वह इसके लिए सभी शोध-पत्र प्रस्तुतकर्ताओं को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हैं। सम्मेलन की शुरूआत दक्षिण से की गई है, जिसका उद्देश्य हिन्दीतर क्षेत्र में हिन्दी का प्रसार करना है। सम्मेलन का विषय सतत् विकास के लिए विज्ञान भी महत्वपूर्ण है। हिन्दी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान देने के लिए सम्मेलन में तेलुगु के शोध पत्र भी अच्छी संख्या में प्राप्त हुए हैं। इन सम्मेलनों के माध्यम से डीआरडीओ द्वारा हिन्दी के प्रसार को नई दिशा और मार्गदर्शन देने का सफल प्रयास हो रहा है।
डीपीआरओ एंड एम के अपर निदेशक चंद्र प्रकाश मीणा ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि अंशुली आर्या के मार्गदर्शन में राजभाषा विभाग ने लगातार कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, चाहे वह राष्ट्रीय स्तर हिन्दी दिवस का आयोजन हो या अनुवाद टूल कंठस्थ का विकास। उन्होंने 14 सितंबर, 2024 को भारतीय भाषाओं के विकास के लिए एक विभाग की स्थापना की है, जो अत्यंत ही सराहनीय कार्य है। डीआरडीओ राजभाषा के विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है।
अंशुली आर्या ने अपने संबोधन में कहा कि हर्ष की बात है कि डीआरडीओ ने पिछले वर्ष की ही तरह इस वर्ष भी सम्मेलन का आयोजन कर एक प्रतिमान स्थापित किया। सम्मेलन से हिन्दी के साथ भारतीय भाषाओं के विकास को बल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के लोगो का संदेश बहुत सटीक है, यानी आधार है, हमारे वेदों और उपनिषदों में कही गई बातें यथार्थ पर आधारित हैं। डीआरडीओ में बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। स्वतंत्रता के आंदोलन में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न भाषाओं से कितनें ही शब्द हिन्दी में आकर समाहित हो चुके है। इंटरनेट जैसे शब्द हिन्दी के शब्द बन गए हैं, उन्हें आत्मसात कर उपयोग करें।
मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और मंच पर उपस्थित अतिथियों का शॉल और स्मफति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। सहायक निदेशक (राजभाषा) काज़िम अहमद और दिव्या नायर ने कार्यक्रम का संचालन किया। वैज्ञानिक-जी एवं सह-संयोजक उन्मेष-2025 डॉ. एम.के. गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अल्पाहार के बाद सत्रों का आरंभ हुआ, जिसे सात सत्रों में विभाजित किया गया। प्रथम चार सत्र प्रथम दिवस पर संचालित किए गए। इसके अलावा सांस्वफढतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।