प्रायश्चित करने से शुद्ध होता है जीवन : सुमंगलप्रभाजी

हैदराबाद, जो व्यक्ति भूलों-पापों को स्वीकार कर उसका प्रायश्चित करता है, उसका जीवन परिशुद्ध होता है और उसका आत्म शोधन हो जाता है। जैन धर्म, जैन दर्शन का यह प्रसिद्ध कार्य है। इसे सदा बनाये रखे और प्रायश्चित कर भूलों को सुधारने की कोशिश करें। उक्त उद्गार सिकंदराबाद स्थित मारुति विधि जैन स्थानक में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिकंदराबाद के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मासिक धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. सुमंगलप्रभाजी म.सा. ने व्यक्त किये।

पूज्यश्री ने कहा कि प्रायश्चित से जीव पाप कर्मों की विशुद्धि कर आचार व्यवहार से शुद्ध होकर व्रत वाला बन जाता है, सम्यक प्रायश्चित करता है, ज्ञान मार्ग और शुद्ध फल की प्राप्ति करता है। हर साधक से किसी भी प्रकार की भूल-गलती हो जाती है, तो उसका प्रायश्चित करना चाहिए। जिन्होंने जीवन में भूल का प्रायश्चित कर सुधार किया है, वह पापों के बोझ से मुक्त हुआ। पाप के बोझ के बोधन रोधन शोधन की प्रक्रिया का नाम ही प्रायश्चित है।

व्यक्ति यदि पाप में गिर गया है, तो भी वह पापों में पड़ा न रहे। पापों से छूटने के लिए कार्य करते रहे, तभी वह महामानव कहलाता है। पर जो पापों में गिरकर पापों में ही रहता है, जिसे पापों में रहना अच्छा लगता है, वह मानव नहीं दानव कहलाता है। जो पापों से सर्वधा ऊपर मुक्त हो जाता है, पापों को छोड़कर भूलों का परिमार्जन कर विशुद्धिकरण कर लेता है, वह उत्तम कोटि का महा मानव कहलाता है।

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जयमलजी म.सा. जयंती पर विशेष कार्यक्रम

म.सा. ने कहा कि प्रायश्चित को आलोचना भी कहें, तो कोई बात नहीं। प्रायश्चित को शुद्ध भाव व मन से करते हुए भूलों को स्वीकार कर परिमार्जन करें। धर्म सभा का प्रारंभ पैंसठिया छंद जाप से हुआ। सभा का संचालन करते हुए कोषाध्यक्ष विजयराज डूंगरवाल ने बताया कि अंबेश गुरु मेवाड़ संघ के सहयोग से जारी जाप में आज की प्रभावना हेमंत दीपांशु बडाला परिवार की और से प्रदान की गई। साध्वी चंद्रप्रभाजी म.सा. के अस्वस्थता पर जाप का आयोजन कर उनके शीघ्र ठीक होने एवं दीर्घायु की कामना की गयी।

धर्म सभा में नानालाल कोठारी (बेंगलुरू), राजमल जैन (धन्नारी कला), उमेदमल जैन (गोविंदगढ़) और ताराचंद सुराणा (रायपुर, छत्तीसगढ़) का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। अध्यक्ष गौतमचंद गुगलिया ने बताया कि 1008 जयमलजी म.सा. की 318वीं जन्म जयंती के तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत कल, शुक्रवार को सामायिक बेला दिवस सुबह 9 बजे से प्रारंभ होगा। इसके संयोजक श्री गुरु अंबेश मेवाड़ संघ है।

अवसर पर सिद्धि तप आराधकों का बहुमान किया जाएगा। सिद्धि तप आराधकों को कांतिलाल, संदीप, संजय लोढ़ा की ओर से प्रभावना दी जाएगी। सभी मंडलों से कार्यक्रम में सहयोग देने का आग्रह किया गया। महामंत्री सुरेन्द्र कटारिया ने बताया कि जयमलजी म.सा. के जीवन पर 200 शब्दों में निबंध स्पष्ट रूप से लिखकर 6 सितंबर सुबह 11 बजे तक साध्वी भगवंत के पास जमा करा सकते हैं। इसके संयोजक नमो विहार सेवा ग्रुप हैं।

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