जागरूकता से बचाया जा सकता है स्ट्रोक पीड़ितों का जीवन : विशेषज्ञ

हैदराबाद, विश्व स्तर पर मनाए जा रहे विश्व स्ट्रोक दिवस पर न्यूरोलॉजी के विशेषज्ञों ने आज विभिन्न प्रकार की जागरूकता गतिविधियों में भाग लिया। विशेषज्ञों का दावा है कि जागरूकता और त्वरित कार्यवाही से स्ट्रोक पीड़ितों की जान बचायी जा सकती है। विशेष रूप से भारत में स्ट्रोक की अधिक संख्या के मामले में उभरे हैदराबाद के बारे में चिकित्सकों का मानना है कि लोगों को अपनी जीवनशैली बदलनी होगी और स्वस्थ जीवन संबंधी गतिविधियों को बढ़ाना होगा। चिकित्सकों ने विशेषकर तम्बाकू और शराब से बचने पर जोर दिया है।

गनफाउंड्री स्थित मीडिया प्लस में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ग्लेनफील्ड मल्लारेड्डी ब्रेन एंड हार्ट हॉस्पिटल के न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. शकीब अहरार, डॉ. मोहम्मद अली, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. मोहम्मद यूसुफ और डॉ. यूनुस अंसारी ने कहा कि वर्तमान समय में स्ट्रोक जागरूकता और इसके शुरुआती हस्तक्षेप पर चिकित्सकों और स्ट्रोक के संभावित पीड़ितों के लिए चर्चा का महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने जनसामान्य से अपील की कि स्ट्रोक और उसके संभावित जोखिम भरे परिणामों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने में सभी को सक्रिय रूप से अपना दायित्व निभाना चाहिए। निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को अपनाने और समय पर हस्तक्षेप को सक्षम बनाने के लिए इससे संबंधित लक्षणों को पहचानना अनिवार्य है।

न्यूरो विशेषज्ञों ने कहा कि स्ट्रोक की घटना में शुरुआत से चार घंटे का प्रबंधन काफी महत्वपूर्ण है। इसमें देरी से गंभीर और अक्सर अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका में रुकावट या टूटन से रक्त का प्रवाह बाधित होता है। रक्त का थक्का या पट्टिका का निर्माण मस्तिष्क में प्रमुख धमनी को अवरुद्ध करता है, जिससे आवश्यक ऑक्सीजन का मस्तिष्क के ऊतकों तक पहुंचना बाधक होता है। दूसरे प्रकार में रक्तस्रावी स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क के भीतर रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे रक्त पास के ऊतक में फैल जाता है।

स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों के बारे में विशेषज्ञों ने बताया कि शुरुआती स्ट्रोक संकेतों की पहचान संक्षेप में एफएएसटी अक्षरों से की जा सकती है, जिसका अर्थ है फेशियल ड्रॉपिंग, बाज़ुओं में कमजोरी, बात करने में कठिनाई और आपातकालीन सेवा की आवश्यकता। इन लक्षणों पर शीघ्र निदान की आवश्यकता है। एक प्रश्न के उत्तर में चिकित्सकों ने स्वीकार किया कि हैदराबाद में इस तरह के मामलों में वृद्धि है और इसमें देर रात तक जागने और खानपान की जीवन शैली जिम्मेदार है। इसमें परिवर्तन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button