बंकाचर्ला परियोजना के खिलाफ बीआरएसवी का सम्मेलन कल
हैदराबाद, पड़ोसी आंध्र प्रदेश राज्य की प्रस्तावित गोदावरी बंकाचर्ला सिंचाई परियोजना के विरुद्ध जंग सायरन के तौर पर भारत राष्ट्र समिति विद्यार्थी विभाग (बीआरएसवी) के तत्वावधान में शनिवार, 26 जुलाई को सम्मेलन का आयोजन उप्पल, मल्लापुर स्थित वीएनआर गार्डन में सुबह 10 बजे से किया जाएगा। बीआरएसवी प्रदेश अध्यक्ष गेल्लू श्रीनिवास यादव ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह सम्मेलन दो सत्रों में आयोजित किया जाएगा जिसमें सुबह 10 बजे के सत्र को मुख्य वक्ता के रूप में विधायक व पूर्व मंत्री टी. हरीश राव संबोधित करेंगे।
इसके बाद मध्याह्न सत्र को विधान परिषद सदस्य देशपति श्रीनिवास व पूर्व मंत्री जी. जगदीश रेड्डी संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि समापन समारोह को बीआरएस कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री के. तारक रामाराव संबोधित करेंगे। बंकाचर्ला से तेलंगाना को होने वाले नुकसान से अवगत कराने के उद्देश्य से बीआरएसवी की 50 टीमें करीब 5 लाख करपत्रों के माध्यम से सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को जागरूक कर रहे हैं।
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तेलंगाना जलसंकट पर विद्यार्थियों का आंदोलन
यादव ने बताया कि प्रमुख रूप से सम्मेलन में बंकाचर्ला मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। इसमें केवल विद्यार्थी ही भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायुडू व राज्य के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी सरकारों की मिलीभगत से तेलंगाना के जलसंसाधन को कैसे लूटने के प्रयास किए जा रहे हैं, इस पर वक्ता विद्यार्थियों को समझाएंगे। उन्होंने कहा कि बनकाचर्ला परियोजना के खिलाफ व्यापक विद्यार्थी आंदोलन का यह सम्मेलन जंग सायरन (युद्ध का शंखनाद) होगा।
अवसर पर पूर्व सांसद बाल्का सुमन ने बताया कि जब केसीआर मुख्यमंत्री थे तब कोई भी राज्य आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र हो या कर्नाटक, तेलंगाना की ओर आंख उठाने के लिए भी सोचता था परंतु कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद आंध्र प्रदेश सरकार बंकाचर्ला परियोजना निर्माण के तहत तेलंगाना का पानी ले जाने पर तुली है तो महाराष्ट्र के एक मंत्री तेलंगाना के 14 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने की बात कर रहे हैं।
यादव ने कहा कि संसद में तेलंगाना की ओर से कांग्रेस के 8 सांसद हैं तो भाजपा के भी 8 सांसद हैं, जिनमें 2 केंद्रीय मंत्री भी हैं परंतु कोई भी अन्याय के खिलाफ संसद में आवाज तक नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि जब संसद में बीआरएस के सांसद थे तब तेलंगाना के हर मुद्दे पर संसद में आवाज उठाते ही नहीं थे बल्कि संसद को स्थगित करने तक आंदोलन करते थे। उन्होंने कहा कि 20 महीनों तक इंतजार करने के बाद अब तेलंगाना के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बीआरएस आंदोलन करती आ रही है और धीरे- धीरे आंदोलन तेज किया जा रहा है, इसे व्यापक रूप दिया जाएगा।
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