बुद्धम शरणम्, दुश्मनी से दुश्मनी खत्म करना असंभव : मोदी

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के कई क्षेत्रों में जारी युद्ध के बीच बृहस्पतिवार को भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपरिहार्य बताया और दुनिया से युद्ध छोड़कर शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उनसे सीख लेने का आह्वान किया।

उन्होंने भारत की बुद्ध में आस्था को पूरी मानवता की सेवा का मार्ग भी करार दिया और कहा कि दुश्मनी से दुश्मनी कभी खत्म नहीं होती बल्कि यह मानवीय उदारता से खत्म होती है। प्रधानमंत्री राजधानी स्थित विज्ञान भवन में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम और पाली को शास्त्राय भाषा के तौर पर मान्यता देने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर उन्होंने पाली भाषा को शास्त्राय भाषा का दर्जा दिए जाने को भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान बताया और आजादी के बाद भारत की सांस्कृतिक विरासत की उपेक्षा के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना भी साधा। मोदी ने रूस-यूक्रेन, इजराइल-फलस्तीन और कुछ अन्य देशों के बीच जारी युद्ध की ओर इशारा करते हुए कहा कि 21वीं सदी में विश्व की भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते दुनिया कई अस्थिरताओं और आशंकाओं से घिरी हुई है। उन्होंने कहा, ऐसे में बुद्ध न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि अपरिहार्य भी बन चुके हैं। उन्होंने कहा, मैंने एक बार संयुक्त राष्ट्र में कहा था- भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं। और आज मैं बड़े विश्वास से कहता हूँ- पूरे विश्व को युद्ध में नहीं, बुद्ध में ही समाधान मिलेंगे। मैं आज अभिधम्म पर्व पर पूरे विश्व का आह्वान करता हूँ- बुद्ध से सीखिए…युद्ध को दूर करिए…शांति का पथ प्रशस्त करिए।

बुद्ध की कुछ शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है और दुश्मनी को दुश्मनी से खत्म नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, दुश्मनी, मानवीय उदारता से खत्म होती है। सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो यही बुद्ध का संदेश है, यही मानवता का पथ है। मोदी ने कहा कि भाषा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता जैसे सांस्कृतिक स्तंभ एक राष्ट्र की पहचान को आकार देते हैं और प्रत्येक राष्ट्र गर्व से अपनी विरासत को अपनी पहचान से जोड़ता है। उन्होंने कहा, अफसोस की बात है कि भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में पिछड़ गया है। (भाषा)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button