हिन्दी भाषा संचेतना शिविर का समापन समारोह आयोजित
हैदराबाद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद के बी.एङ के प्रशिक्षणार्थियों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 12वें हिन्दी भाषा संचेतना शिविर का समापन समारोह दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के प्रांगण में संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. श्यामराव राठौड़, पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं डीन, पुस्तकालय, इफ्लू, हैदराबाद उपस्थित थे।
इस दौरान पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे, सम्मानित अतिथि पी. ओबय्या, अध्यक्ष, द.भा.हिं.प्रचार सभा, आंध्र एवं तेलंगाना, ए. जानकी, सचिव (प्रभारी) एवं संपर्क अधिकारी, द.भा.हिं. प्रचार सभा, आंध्र एवं तेलंगाना, विशिष्ट अतिथि डॉ. सी.एन. मुगुटकर, प्राचार्य, शिक्षा महाविद्यालय, द.भा.हिं. प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद, पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक, सह-आचार्य, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद केंद्र एवं डॉ. रणजीत भारती, सह-आचार्य, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, मैसूर केंद्र मंच पर उपस्थित थे। इस संचेतना शिविर में कुल 105 (महिला-63, पुरुष-42) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।
सर्वप्रथम मंचस्थ अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। छात्रों द्वारा माँ सरस्वती वंदना, संस्थान गीत व स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. श्यामराव राठौड़, पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं डीन, पुस्तकालय, इफ्लू, हैदराबाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। भाषाई अस्मिता का सवाल हमारे सामने उभर कर आया है। इसलिए हमें आज संचेतना शिविर की आवश्यकता का अनुभव हो रहा है। भाषाई चेतना, जागरूकता के लिए इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करना पड़ रहा है। आप सब भावी शिक्षक हैं। इस देश के निर्माता हैं। उस जिम्मेदारी को आपको बखूबी निभाना है। आपने यहाँ जो कुछ सीखा है, पाया है, उसे जीवनभर संजोकर रखिए। वह आपके जीवन की दिशा निर्धारित करेगा।
सम्मानित अतिथि पी. ओबय्या, अध्यक्ष, द.भा.हिं.प्रचार सभा, आंध्र एवं तेलंगाना ने अपने वक्तव्य में गर्व के साथ कहा कि मैं केंद्रीय हिन्दी संस्थान का छात्र रहा हूँ। मैंने वर्ष 1969 में केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा से हिन्दी शिक्षण पारंगत के तीसरे बैच में पाठ्यक्रम किया है। जब मैं आगरा गया तब मैं तेलुगु हिन्दी बोलता था, किंतु प्रशिक्षण पूर्ण होने तक मैंने शुद्ध हिन्दी सीख ली। वर्ष के अंत में जो प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं उसमें मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। आपको भी शुद्ध हिन्दी सीखना चाहिए ताकि आप भावी नागरिकों का भविष्य उज्जवल बना सकें। ए. जानकी, सचिव (प्रभारी) एवं संपर्क अधिकारी, द.भा.हिं.प्रचार सभा, आंध्र एवं तेलंगाना ने अपने वक्तव्य में कहा कि आशा करती हूँ कि आप सबने संचेतना शिविर में बहुत कुछ सीखा होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि प्राप्त ज्ञान को आप अपने भावी जीवन में प्रयोग करेंगे।
विशिष्ट अतिथि डॉ. सी.एन. मुगुटकर ने कहा कि केंद्रीय हिन्दी संस्थान ने हिन्दी भाषा संचेतना शिविर के माध्यम से शुद्ध वर्तनी के साथ भाषा को समाज तक पहुँचाने का कार्य आरंभ किया है जिसमें आप सब लाभार्थी बने हैं। इसका जीता जागता उदाहरण आपके द्वारा बनाई गई हस्तलिखित पत्रिका है। भाषा ही नहीं सामाजिक, सांस्कृतिक दर्शन भी इस हस्तलिखित पत्रिका में देखने को मिला है। डॉ. फत्ताराम नायक ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आप जहाँ भी जाएँ आपके छात्रों को ज्ञान रूपी दीप से प्रज्ज्वलित करें। डॉ. रणजीत भारती ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। हमें उस जिम्मेदारी का निर्वहन भली भांति करना चाहिए। कार्यक्रम संयोजक और क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने अपने आशीर्वचन में कहा कि किसी भी विषय को पढ़ने, ग्रहण करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। इसीलिए भाषा का अच्छा ज्ञान होना चहिए। भाषा का जो ज्ञान आपने इस संचेतना शिविर में प्राप्त किया है उसे आत्मसात् करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता है। हर रोज आप दूरदर्शन में आधे घंटे के लिए समाचार सुनने का प्रयास करें।
अवसर पर रानी मल्लिक, वीरेंद्र भुय्या, अन्तेशा साहू, मनोज कहाकुल, संजय कुमार साहू, कर्णिका धन्सना, चौबीन बाहे आदि ने शिविर के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत लोक नृत्य, स्वरचित कविता पाठ, देशभक्ति गीत, नाटक आदि प्रस्तुत किए। अवसर पर हस्तलिखित पत्रिका भारतीय सांस्कृतिक दिग्दर्शिका का विमोचन अतिथियों के कर कमलों द्वारा हुआ। पर-परीक्षण में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरस्कार वितरित किए गए। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन डॉ. टी. अरुणा देवी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शेख ज़ुबेर अहमद द्वारा किया किया। कार्यक्रम में दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के अध्यापकगण, छात्र, केंद्र के सदस्य उपस्थित थे।