नलसार में आार्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कानून पर सम्मेलन
हैदराबाद, – नलसार यूनिवार्सिटी ऑफ लॉ में आज भारत के विधि आयोग के सहयोग से भारत में आार्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कानून और न्याय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। अवसर पर एआई और कानून के तेजी से विकसित हो रहे अंतर्संबंधों पर तेलंगाना सरकार के सूचना परैद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग में उभरती परैद्योगिकियों की निदेशक रमा देवी लंका, भारत के विधि आयोग की सदस्य सचिव डॉ. रीता वशिष्ठ, नासकॉम चेयरमैन बी वी मोहन रेड्डी सहित अन्य प्रख्यात वत्ताओं ने विषय पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
परप्त जानकारी के अनुसार, इस सम्मेलन का उद्देश्य कानूनी और न्यायिक प्रणाली में एआई को अपनाने, भारत में कानून और न्याय को बदलने की इसकी क्षमता की खोज करना था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले से ही एआई-सुविधा वाले एसयूपीएसीई का उपयोग करने और ई-कोर्ट आधुनिकीकरण चरण में एआई-आधारित उपकरणों के एकीकरण के साथ सम्मेलन में कानूनी क्षेत्र में एआई द्वारा प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की गई। इस सम्मेलन में दो सत्र आयोजित किए गए, जिसमें भारत में कानून और न्याय में एआई-वर्तमान और भविष्य' तथा
एआई और न्याय के सिद्धांत और न्याय के लिए निहितार्थ उभरते रुझान शामिल रहे।
सम्मेलन में डेटा गोपनीयता और एआई नैतिकता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। वत्ताओं ने परैद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए बहु-विषयक शिक्षा और निरंतर सीखने के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम में एआई मतिभ्रम, पूर्वाग्रह और मानवीय सहानुभूति की हानि से जुड़ी चिंताओं को दूर करने में पारदार्शिता, विश्वास-निर्माण और नियमित ऑडिट के महत्व को भी रेखांकित किया गया। साथ ही कानूनी प्रणाली में एआई के एकीकरण, नैतिक और कानूनी सुरक्षा उपायों के साथ इसकी क्षमताओं को संतुलित करने पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। सम्मेलन में सरकारी विभागों, शिक्षा, कानूनी तकनीक और संबंधित उद्योग विशेषज्ञों आदि ने प्रतिभागिता करते हुए अपने विचार रखे।