संविधान मार्गदर्शक, राष्ट्र प्रथम की भावना इसे सदियों तक जीवित रखेगी : मोदी
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संविधान को देश के वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक करार दिया और कहा कि उनकी सरकार ने सामाजिक तथा वित्तीय समानता लाने के लिए कई कल्याणकारी कदम उाकर संवैधानिक मूल्यों को मजबूत किया है।
संविधान दिवस के मौके पर उच्चतम न्यायालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने संविधान को एक जीवंत निरंतर प्रवाहमान धारा बताया जो समय-समय पर आपातकाल समेत अन्य चुनौतियों और देश की जरूरतों और उम्मीदों पर खरा उतरा है। उन्होंने 2008 में आज ही के दिन मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश ने संकल्प किया है कि उसकी सुरक्षा को चुनौती दे रहे सभी आतंकवादी समूहों को मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने 1949 में संविधान सभा में 26 नवंबर को राजेंद्र प्रसाद के समापन भाषण का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि भारत को आज ईमानदार लोगें के एक समूह से ज्यादा कुछ नही चाहिए, जो अपने हितों से आगे देश का हित रखेंगे।
मोदी ने कहा, राष्ट्र सर्वप्रथम की यही भावना भारत के संविधान को आने वाले कई सदियों तक जीवंत बनाए रखेगी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत में हर किसी को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन मिले, यह सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा माध्यम है और संविधान की भावना भी। भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक भवन परिसर के सभागार में आयोजित इस समारोह में प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में अपनी सरकार की ओर से शुरू की गई कई कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख भी किया और कहा कि इनसे लोगें के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव हो रहा है, देश की प्रगति को गति मिल रही है और संविधान की मूल भावना भी सशक्त हो रही है।
उन्होंने कहा कि देश, काल और परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर संविधान की समय-समय पर व्याख्या की जा सके, यह प्रावधान संविधान निर्माताओं ने किया है। उन्होंने कहा कि वे (संविधान निर्माता) यह जानते थे कि भारत की आकांक्षाएँ और उसके सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुँचेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जानते थे कि आजाद भारत और आजाद भारत के नागरिकें की जरूरतें और चुनौतियाँ बदलेंगी, इसलिए उन्होंने संविधान को महज कानून की एक किताब बनाकर नही छोड़ा बल्कि, इसे एक जीवंत निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियाँ आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है।(भाषा)