हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा फिल्म अभिनेता रामचरण अभिनीत गेम चेंजर फिल्म के लिए तड़के 4 बजे विशेष प्रदर्शन की अनुमति दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और इसे कानून के विरुद्ध बताया। अदालत ने कहा कि हर व्यक्ति को रात के समय सोना चाहिए और इस प्रकार तड़के फिल्म के विशेष प्रदर्शन को अनुमति देने से लोगों का स्वास्थ्य क्या होगा। 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को तड़के और देर रात फिल्म देखने के लिए अनुमति देना अनुचित है।
एक फिल्म के प्रदर्शन और दूसरे फिल्म के प्रदर्शन के बीच 15 मिनट की समयावधि को भी अपर्याप्त बताते हुए अदालत ने सवाल उठाया। इस तरह एक फिल्म का प्रदर्शन समाप्त होने के बाद दर्शकों को बाहर निकलने का समय कहाँ रहता है। सरकार ने ही स्वयं घोषणा की थी कि बेनिफिट शो को अनुमति नहीं दी जाएगी और पुष्पा-2 के बाद गेमचेंजर फिल्म को क्यों अनुमति दी गई। अदालत ने कहा कि फिल्म के प्रदर्शन से पूर्व याचिका दायर करने मात्र से ही कुछ होने वाला नहीं है। क्योंकि विख्यात फिल्म अभिनेता की फिल्म होने पर एक माह तक फिल्म देखने के लिए आम जनता भारी संख्या में आती है, एक ही दिन में कई शो लगाकर फिल्म का प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है। तड़के और देर रात फिल्म प्रदर्शन का आयोजन सही नहीं है। कई देशों में शाम 6 बजे के बाद फिल्म के शो पर रोक लगा दी गई है। लेकिन यहाँ किसी प्रकार की कोई समयावधि नहीं है, जैसे चाहे, वैसे फिल्म प्रदर्शन को अनुमति दी जा रही है।
वास्तव में यह मामला प्रजाहित से संबंधित है। इसीलिए अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि इस मामले पर जनहित याचिका क्यों दायर नहीं की गई। वर्तमान समय में लोग तड़के ही नहीं, बल्कि देर रात फिल्म के प्रदर्शन के लिए जाने के लिए तैयार है, तब याचिकाकर्ता को किस प्रकार की आपत्ति है। यदि आपत्ति हो तो थिएटर के सामने धरना दिया जा सकता है, धरना नहीं दे सकते हैं, तो फिल्म देखना छोड़ दें।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस बी. विजयसेन रेड्डी ने गेमचेंजर फिल्म के तड़के 4 बजे प्रदर्शन हेतु सरकार द्वारा दी गई अनुमति को चुनौती देते हुए हैदराबाद निवासी गोर्रा भरतराज और एक अन्य द्वारा दायर याचिका के अलावा संध्या थिएटर में हुई भगदड़ से संबंधित याचिकाओं को मिलाकर इस पर शुक्रवार को सुनवाई करने की घोषणा की। इसके पूर्व अधिवक्ता महेश मामिल्ला, सुल्तान बाशा और विजय गोपाल ने दलील देते हुए बताया कि सिनेमॉटोग्राफी एक्ट की धारा 12 के अनुसार सुबह 8.30 बजे से ही फिल्म प्रदर्सन को अनुमति दी जा सकती है। लेकिन सरकार ने कानून का उल्लंघन करते हुए अनुमति के संबंध में मेमो जारी किया है। ज़िलों में ज़िलाधीश और संयुक्त ज़िलाधीश और हैदराबाद में पुलिस आयुक्त को ही टिकट की दर बढ़ाने का अधिकार है, लेकिन सरकारी आदेश संख्या 120 का उदाहरण देते हुए किसी भी समय फिल्म के प्रदर्शन को लेकर सरकार द्वारा मेमो जारी करना अनुचित है। सरकारी आदेश में केवल टिकटों की दर बढ़ाने का ही उल्लेख है। सरकारी आदेश में फिल्म किस समय प्रदर्शित की जाए, इसका उल्लेख नहीं है, इस कारण सरकार ने कानून का उल्लंघन कर मेमो जारी किया है। इसके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित टेलर वर्सेस टेलर के मामले में सुनाए गए फैसले का उल्लेख किया। जिसके अनुसार, जो कानून में नहीं है, उन विषयों पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सरकार को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है।