भगीरथम्मा तालाब में ध्वस्तीकरण को लेकर कोर्ट नाराज

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने ख्वाजागुड़ा स्थित भगीरथम्मा तालाब परिसर में हैद्रा द्वारा निर्माण कार्यों को ढहाए जाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने ढहाए गए निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठाया कि क्या निर्माण कार्य तालाब के एफटीएल क्षेत्र में किए गए और बताएँ कि ठोस सबूत जुटाए बिना निर्माण कार्यों को कैसे ढहाया गया। याचिकाकर्ता के पास ढहाए गए मकान के संबंध में बिजली बिल, संपत्ति कर समेत अन्य दस्तावेज उपलब्ध हैं। दस्तावेज रहने के बावजूद भी क्या हैद्रा ने एफटीएल और बफर जोन का निर्धारण किया, यह कहकर हैद्रा को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई।

मनमर्जी अनुसार मकान ढहाए जाएँगे, तो अदालत यह देखकर शांत नहीं बैठेगी, यह चेतावनी अदालत ने हैद्रा को दी। पुन इस प्रकार की कार्रवाई होगी, तब हैद्रा के आयुक्त रंगनाथ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी पड़ सकती है। अदालत ने जीएचएमसी की अनुमति के बिना याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य न करने के आदेश दिए। भगीरथम्मा तालाब की एफटीएल की परिधि में निर्माण कार्य किए जाने का हवाला देते हुए हैद्रा ने निर्माण कार्यों को ढहाया। अवैध रूप से लगाई गई फेंसिंग और 20 से अधिक दुकानों को हटाया गया। नोटिस जारी कर 24 घंटे के भीतर दुकान ढहाए जाने को चुनौती देते हुए कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में आज भोजन अवकाश याचिका के रूप में याचिकाएँ दायर की। इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण ने आज दोपहर के समय सुनवाई की।

दलील सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने हैद्रा आयुक्त को निर्माण कार्य ढहाए जाने की कार्रवाई तुरन्त रोकने के लिए अधिवक्ता को आदेश दिए। न्यायाधीश ने चेताया कि निर्माण कार्य ढहाए जाने के कार्य न रोकने पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को भी अनुमति के बिना निर्माण कार्य न करने और अस्थाई रूप से लगाई गई फेंसिंग को 24 घंटे के भीतर हटाने के लिए कहा।

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