मोक्ष मार्ग पाने के लिए गुरु आवश्यक : धर्मज्योतिजी

हैदराबाद, संसार में जन्म लेना है तो माँ की ज़रूरत है। इस संसार को जानना है और मोक्ष की ओर बढ़ना है, तो गुरु जरूरी है।
उक्त उद्गार मलकपेट स्थित बम्ब सिंघी भवन में जैन श्री संघ मलकपेट के तत्वावधान में यशस्वी चरित्र चिन्तामणि साध्वीरत्ना श्री देवेंद्रप्रभाजी म.सा, साध्वी श्री धर्मज्योतिजी म.सा, नवदीक्षित साध्वी श्री प्रियांशश्रीजी म.सा आदि ठाणा 3 के शासनोत्कर्ष वर्षावास 2024 के अंतर्गत धर्मज्योतिजी ने दिये। आज यहाँ संघ के स्वागताध्यक्ष कुशालराज पोकरणा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, साध्वीरत्ना श्री देवेंद्रप्रभाजी म.सा आदि ठाणा 3 के पावन सानिध्य में श्रमण संघ के महान साध्वी, जन-जन की आस्था केन्द्र, स्वाध्याय संस्थापिका जीवदया प्रेरिका जिनशासन चंद्रिका पूज्य गुरुणीमैया श्री शीलकुंवरजी म.सा की 113वीं जन्म जयंती के तीन दिवसीय कार्पाम तेला तप महोत्सव के अंतिम दिन को तेला दिवस के रूप में मनाया गया। करीब करीब 50 श्रावक-श्राविकाओं ने पूज्यश्री के मुखारबिंद से प्रवचन सभा में तेले तप के पचखान ग्रहण किये।

पुष्कर शील चन्दन दरबार में धर्मसभा का शुभारंभ भक्तामर जाप से हुआ। तत्पश्चात जिनशासन चंद्रिका पूज्य गुरुणीमैया श्री शीलकुंवरजी म.सा की जन्म जयंती के पावन प्रसंग पर गुरुणी गुणगान करते हुए तेजस्वी बहू मंडल मलकपेट, गुरु पुष्कर साधना केंद्र पुणे से अशोक सालेचा, शील चन्दन भवन अवंति नगर से नेमीचन्द बडेर मुथा, मल्काजगिरी व कृष्णानगर से विमल पितलिया, गुंतकल से भरत पारख व वनिता बोहरा ने अपने अपने भाव वक्त करते हुवे गुरुणी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। साध्वी श्री धर्मज्योतिजी म.सा ने गुरुणी की जन्म जयंती के प्रसंग पर कहा कि एक जिज्ञासु से पूछा कि संसार के अंदर गुरु की क्या ज़रूरत है, गुरु ने पूछा कि संसार के अंदर माँ की क्या ज़रूरत है। तब हमें यह बताया कि अगर इस संसार में जन्म लेना है तो माँ की ज़रूरत है और इस संसार को जान कर मोक्ष की ओर बढ़ना है तो गुरु जरूरी है। माता पिता हमें जन्म देते हैं और गुरु गुरुणी हमें जीवन जीने की कला देते हैं। जब इस धरती के ऊपर एक सूरज आता है तब उसके तेज से जगत में नई चेतना, नई ऊर्जा मिलती है वैसे ही जब गुरु-गुरुणी का सानिध्य आता है, तो मानव जीवन में नई दिशा, नई स्फूर्ति मिलती है। अगर गुरु बनना है तो पहले शिष्य बनना ज़रूरी है।

साध्वी श्री प्रियांशश्रीजी म.सा ने अपनी गुरुणी मैया के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बताया कि जो गुरु के हाथ से छूट गया वो असल में जीवन में डूब गया। जो गुरु के हाथ से छूट गया वो अवश्य डूब गया। साध्वीजी ने कहा कि जीवन में अगर गुरु नहीं तो हमारा जीवन कुछ भी नहीं। गुरुणी श्री शीलकुंवरजी म.सा के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि वे अद्भुत आराधिका, साधना प्रेमी और महान संयमी थीं। दर्शन के अंदर पूज्य महासती की अटूट श्रद्धा थी। चरित्र में ऐसा प्रभाव और चमत्कार जिसे देख देवता भी उनकी रक्षा करते थे। धर्मसभा का संचालन करते हुए चातुर्मास प्रधान संयोजक पारस डोसी ने बताया कि तेले तप महोत्सव के अंतिम दिवस आज भक्तामर जाप, तीन-तीन सामयिक, शील प्रश्न मंच प्रतियोगिता व अन्य कार्पामों का आयोजन किया गया। समता सिंघवी धर्मपत्नी तीर्थ सिंघवी ने 9 उपवास और शीतल सिंघवी धर्मपत्नी श्रेणिक सिंघवी ने 11 उपवास के पचखान ग्रहण किये। तपस्वियों का बहुमान संगीता कोठारी ने 8 उपवास की बोली से किया। तेले तप के प्रसंग पर सभी तप करने वाले तपस्वियों को लाभार्थी परिवार मातृश्री कुंकुबाई मगनलाल के शुभाशीर्वाद से शा चम्पालाल अजय विजय महिल हृदयंत प्राची वडेर मुथा परिवार द्वारा रजत सिक्के प्रभावना रूप में दिये गए। कार्पाम के पश्चात गौतम प्रसादी का लाभ मातृश्री कंचनदेवी फूलचंद की प्रेरणा से सुपुत्र ललित भंसाली परिवार, पदम जनरल स्टोर्स वालों ने लिया।

तेले करने वाले सभी तपस्वियों के सामूहिक पारणे श्री संघ द्वारा मंगलवार 27 अगस्त को बम्ब सिंघी भवन में कराए जाएंगे जिसका लाभ रेखा बेन राजेश, नयन सामोता परिवार न्यू आदिनाथ सिल्वर पैलेस, अशोकनगर वालों ने लिया। धर्मसभा में सभी लाभार्थी परिवारों का सम्मान किया गया। प्रवचन के पश्चात तेजस्वी बहू मंडल द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता रखी गई जिसमें करीब 30 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता के पुरस्कार महिला समिति द्वारा दिये गए। धर्मसभा में त्रयनगर के विभिन्न क्षेत्रों से धर्मानुरागी श्रावक-श्राविकओं की उपस्थिति रही।

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