बाधाओं को तोड़कर नई ऊँचाइयाँ छू रहे दिव्यांग : मोदी

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर कहा कि उनकी सरकार दिव्यांगजनों के सम्मान और स्वाभिमान के लिए संकल्पबद्ध है और इसका प्रमाण यह है कि वे शिक्षा, खेल या फिर स्टार्टअप, हर क्षेत्र में बाधाओं को तोड़कर नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं और देश के विकास में भागीदार बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर दिव्यांगजनों के सम्मान में सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक लेख साझा किया और कहा कि देश भर के अपने दिव्यांग भाई-बहनों के सम्मान और स्वाभिमान के लिए हमारी सरकार संकल्पबद्ध है। बीते 10 वर्षों में हमने उनके लिए जो नीतियाँ बनाईं और निर्णय लिए, वो इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। दिव्यांगजनों की सेवा और स्वाभिमान का अमृत दशक शीर्षक से इस लेख में प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस दिव्यांगजनों के साहस, आत्मबल और उपलब्धियों को नमन करने का विशेष अवसर होता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए ये अवसर एक पवित्र दिन जैसा है। दिव्यांगजनों का सम्मान भारत की वैचारिकी में निहित है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब पैरालंपिक का मेडल सीने पर लगाकर देश के खिलाड़ी उनसे मिलने आते हैं, तो उनका मन गौरव से भर जाता है और हर बार जब मन की बात में वह अपने दिव्यांग भाई-बहनों की प्रेरक कहानियों को साझा करते हैं, तो उनका हृदय गर्व से भर जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हो, खेल या फिर स्टार्टअप, वे सभी बाधाओं को तोड़कर नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं और देश के विकास में भागीदार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पूरे विश्वास से कहता हूँ कि 2047 में जब हम स्वतंत्रता का 100वाँ उत्सव मनाएँगे, तो हमारे दिव्यांग साथी पूरे विश्व का प्रेरणा पुंज बने दिखाई देंगे। आज हमें इसी लक्ष्य के लिए संकल्पित होना है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक ऐसे समाज के निर्माण का आह्वान किया, जहाँ कोई भी सपना और लक्ष्य असंभव ना हो। उन्होंने कहा कि तभी जाकर हम सही मायने में एक समावेशी और विकसित भारत का निर्माण कर पाएँगे। और निश्चित तौर पर मैं इसमें अपने दिव्यांग भाई-बहनों की बहुत बड़ी भूमिका देखता हूँ। उन्होंने रामायाण के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भारत में हमारे दिव्यांगजन इसी उत्साह से देश के सम्मान और स्वाभिमान की ऊर्जा बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष यह दिन और भी विशेष है। इसी साल भारत के संविधान के 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। भारत का संविधान हमें समानता और अंत्योदय के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।

मोदी ने कहा कि संविधान की इसी प्रेरणा को लेकर बीते 10 वर्षों में सरकार ने दिव्यांगजनों की उन्नति की मजबूत नींव रखी है और इन वर्षों में देश में दिव्यांगजनों के लिए अनेक नीतियाँ बनी हैं, अनेक निर्णय हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये निर्णय दिखाते हैं कि हमारी सरकार सर्वस्पर्शी है, संवेदनशील है और सर्वविकासकारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जब से सार्वजनिक जीवन में हैं, उन्होंने हर मौके पर दिव्यांगजनों का जीवन आसान बनाने के लिए प्रयास किए हैं।

विकलांग शब्द के स्थान पर दिव्यांग शब्द को प्रचलित करने और सुगम्य भारत अभियान सहित अन्य कई फैसलों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों के समय जो नीतियाँ थीं, उनकी वजह से दिव्यांगजन सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा के अवसरों से पीछे रह जाते थे। उन्होंने कहा कि हमने वो स्थितियाँ बदलीं। आरक्षण की व्यवस्था को नया रूप मिला। 10 वर्षों में दिव्यांगजन के कल्याण के लिए खर्च होने वाली राशि को भी तीन गुना किया गया। इन निर्णयों ने दिव्यांगजनों के लिए अवसरों और उन्नतियों के नए रास्ते बनाए। आज हमारे दिव्यांग साथी, भारत के निर्माण के समर्पित साथी बनकर हमें गौरवान्वित कर रहे हैं। भारत के युवा दिव्यांगजनों में अपार संभावनाएँ होने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि पैरालंपिक में इन खिलाड़ियों ने देश को जो सम्मान दिलाया है, वो इसी ऊर्जा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ये ऊर्जा राष्ट्र ऊर्जा बने, इसके लिए हमने दिव्यांग साथियों को स्किल (कौशल) से जोड़ा है, ताकि उनकी ऊर्जा राष्ट्र की प्रगति की सहायक बन सके। ये प्रशिक्षण सिर्फ सरकारी कार्यक्रम भर नहीं है। इन प्रशिक्षणों ने दिव्यांग साथियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्हें रोजगार तलाशने की आत्म शक्ति दी है।

प्रधानमंत्री ने विकलांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम में संशोधन किए जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि इस ऐतिहासिक कानून में दिव्यांगता की परिभाषा की श्रेणी को 7 से बढ़ाकर 21 किया गया। उन्होंने कहा कि आज यह कानून दिव्यांगजनों के सशक्त जीवन का माध्यम बन रहा है। इन कानूनों ने दिव्यांगजनों के प्रति समाज की धारणा बदली है। आज हमारे दिव्यांग साथी भी विकसित भारत के निर्माण के लिए अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का दर्शन हमें यही सिखाता है कि समाज के हर व्यक्ति में एक विशेष प्रतिभा जरूर है, उसे बस सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा अपने दिव्यांग साथियों की उस अद्भुत प्रतिभा पर विश्वास किया है। और मैं पूरे गर्व से कहता हूँ, कि हमारे दिव्यांग भाई-बहनों ने एक दशक में मेरे इस विश्वास को और प्रगाढ़ किया है। मुझे यह देखकर भी गर्व होता है कि उनकी उपलब्धियाँ कैसे हमारे समाज के संकल्पों को नया आकार दे रही हैं।(भाषा)

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