क्या आप जानते हैं ? कैसे बनता है सतरंगी इंद्र धनुष

प्यारे बच्चों क्या आपने कभी बारिश के बाद आसमान में एक अनोखा व सुहावना दृश्य देखा है। इस दृश्य में आसमान में अर्द्धवृत्ताकार के रूप में एक सतरंगी आकृति दिखाई देती है। क्या इस आकृति को आप पहचानते हो?

आपने बिल्कुल सही पहचाना इस सतरँगी आकृति को इंद्रधनुष कहते हैं। आपको पता है कि यह कब दिखाई देता है? कैसे बनता है? क्यों बनता है? और इस सतरँगी आकृति में आखिर कितने रंग होते है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर के लिये हमें विज्ञान के प्रकाश नामक पाठ का अध्ययन करना होगा।

तो बच्चों सबसे पहले तो यह जान लीजिये कि यह आकृति तब दिखाई देती है जब वर्षा के बाद धूप निकलती है, जब वातावरण में उपस्थित वर्षा की बूंदें सूर्य के प्रकाश से टकरातीं हैं तो ये बूंदें एक प्रिज्म की तरह कार्य करतीं है। अत इसे समझने के लिये सर्वप्रथम प्रिज्म की क्रियाविधि को समझेंगे।

प्रिज्म

प्रिज्म की यह विशेषता होती है कि जब श्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारते हैं तो यह प्रकाश सात अलग-अलग रंगों की पट्टिकाओं (बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल) रंगों में विभक्त (बंट) हो जाता है। यह घटना वर्णविक्षेपण कहलाती है और सात रंगों के इस क्रम को वर्ण क्रम कहते हैं। इसमें रंगों का क्रम निश्चित होता है। अंग्रेजी में हम इसे विबग्योर के नाम से जानते हैं। जिसका अर्थ है – बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल।

ऐसे बनता है इंद्रधनुष

वर्षा के बाद जब वर्षा की हल्की बूंदें पृथ्वी पर न गिरकर आसमान में ही रह जातीं हैं और जब सामने सूर्य का प्रकाश इन बूंदों पर पड़ता है तो ये बूंदें एक प्राकृतिक प्रिज्म का कार्य करतीं हैं और सूर्य का प्रकाश इन बूंदों से टकराकर सात रंगों (बैगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला,नारंगी और लाल की पट्टिकाओं में विभक्त (बंट) जाता है और हमें मनुहारी इंद्रधनुष दिखाई देता है।

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इस कारण इंद्रधनुष को प्राकृतिक प्रिज्म कहा जाता हैं। इंद्रधनुष की घटना प्रकाश के अपवर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन और वर्ण विक्षेपण पर आधारित है। इंद्रधनुष सदैव सूर्य की विपरीत दिशा में ही दिखाई देता है।

दोहरा इंद्रधनुष

कभी- कभी लगातार दो इंद्रधनुष एक साथ दिखाई देते है यह तब संभव होता है जब एक इंद्रधनुष बनने के बाद निकली हुई रंगीन रोशनी श्वेत प्रकाश में परिवर्तित हो जाती है और यह श्वेत प्रकाश वातावरण में उपस्थित दूसरी पानी की बूंदों से टकराता है लेकिन इस प्रकार के इंद्रधनुष में रंगों का क्रम ठीक उल्टा हो जाता है।

पानी के फव्वारों, झरनों में भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है। जब फव्वारों, झरनो के ऊपर पानी की छोटी-छोटी बूंदे भाप /वाष्प के रूप में आतीं है तो सूर्य का प्रकाश इन बूंदों से टकराकर इंद्रधनुष का निर्माण करतीं हैं।

इंद्रधनुष का आकार

वैसे तो इंद्रधनुष गोल होता है परंतु जमीन से हमें इंद्रधनुष अर्धवृत्ताकार के रूप में ही दिखाई देता है अगर ऊँचे उड़ते हुए हवाई जहाज से इसे देखते हैं तो हमे पूरा गोल ही दिखाई देता है।

डॉ.कमलेन्द्र कुमार

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