संगारेड्डी की ड्रोन दीदियाँ बनीं मन की बात में चर्चा का विषय
हैदराबाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ड्रोन दीदी को स्काई वॉरियर्स बताते हुए तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में स्थित एक गाँव की उन महिलाओं को याद किया, जो ड्रोन उड़ाकर कृषि क्षेत्र में नई क्रांति ला रही हैं। मन की बात के 122वें एपिसोड को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने ड्रोन दीदी की कहानी सुनाते हुए कहा कि आज कई ऐसी महिलाएं हैं, जो खेतों के साथ ही अब आसमान की ऊंचाइयों पर काम कर रही हैं।
अब गाँव की महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर ड्रोन उड़ा रही हैं और उससे खेती में नई क्रांति ला रही हैं। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वही महिलाएं ड्रोन से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, सुबह तीन घंटे, शाम दो घंटे और काम निपट गया। धूप की तपन नहीं, जहर जैसे केमिकल का खतरा नहीं।
गाँव वालों ने भी इस परिवर्तन को दिल से स्वीकार किया है। अब ये महिलाएं ड्रोन ऑपरेटर नहीं, स्काई वारियर के नाम से जानी जाती हैं। ये महिलाएं हमें बता रही हैं कि बदलाव तब आता है, जब तकनीक और संकल्प एक साथ चलते हैं। इसी क्रम में केंद्रीय कोयला मंत्री किशन रेड्डी ने प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में ड्रोन दीदी की सराहना किये जाने पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ड्रोन के खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने वाली तेलंगाना के संगारेड्डी की महिलाओं की प्रशंसा कर उनका मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हमारी ड्रोन दीदियाँ स्काई वॉरियर्स बन कर कृषि भूमि पर कीटनाशकों का छिड़काव करने के दौरान कड़ी धूप और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से राहत पा ली है, जिससे उनका काम कुशल और सुरक्षित हो गया है।
ड्रोन से सशक्त हुई संगारेड्डी की महिलाएं
यह परिवर्तन मोदी सरकार की प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से नारी शक्ति को सशक्त बनाने की अटूट प्रतिबद्धता का एक शानदार उदाहरण है। हम सभी को तेलंगाना की महिलाओं पर गर्व है। उल्लेखनीय है कि नमो ड्रोन दीदी एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को कृषि सेवाएँ प्रदान करने के लिए ड्रोन तकनीक से लैस करके उन्हें सशक्त बनाना है। इस योजना के माध्यम से भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाते हुए कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यह पहल महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने और कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के सरकार के व्यापक लक्ष्यों का हिस्सा है।
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संगारेड्डी में महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य, जो कभी दैनिक मज़दूरी पर निर्भर हुआ करती थीं, अब खेतों में तेज़ी से और सस्ते में छिड़काव करने के लिए ड्रोन उड़ा रही हैं। इससे मज़दूरी की लागत में 80 प्रतिशत की कमी आती है और यह साबित होता है कि ग्रामीण महिलाएँ अत्याधुनिक उपकरणों को चलाने में महारत हासिल कर सकती हैं। जिले के जोगीपेट में 53 महिलाओं को ड्रोन नियंत्रण और उड़ान नियमों से लेकर ऊंचाई प्रबंधन और उर्वरक तथा कीटनाशक छिड़काव की तकनीक का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
इससे पूर्व पुलकल मंडल के इसोजीपेट गाँव की भवानी बताया था कि उसके पास अपनी तीन एकड़ जमीन है और सात एकड़ जमीन लीज पर ली है। अगर सरकार एसएचजी को ड्रोन रखने में मदद करती है, तो प्रति एकड़ लागत 3,000 रुपये से घटकर सिर्फ 500 रुपये रह जाएगी।
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