निर्वाचन आयोग ने तकनीक का उपयोग कर प्रतिबद्धता दिखाई : मोदी


नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को निर्वाचन आयोग की सराहना करते हुए कहा कि इस स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण ने जन-शक्ति को और ताकत देने के लिए तकनीक की शक्ति का उपयोग किया तथा निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्धता भी दिखाई है। मोदी ने आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की ताजा कड़ी में 25 जनवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय मतदाता दिवस से पहले और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में कथित पक्षपात को लेकर विपक्ष की लगातार आलोचनाओं के बीच आयोग की सराहना की।
भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी को हुई थी। इस दिन को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद दूँगा, जिसने समय-समय पर हमारी मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाया है और उसे मजबूत किया है। आयोग ने जन-शक्ति को और शक्ति देने के लिए, तकनीक की शक्ति का उपयोग किया। मैं चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव की उनकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई देता हूँ। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्षी दल चुनावी प्रक्रिया के कुछ पहलुओं और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उा रहे हैं। उन्होंने लोगें से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने और इसे सशक्त बनाने के लिए बड़ी संख्या में मतदान प्रक्रिया में भाग लेने की अपील भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद देश में जब 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए तो कुछ लोगें को संशय था कि क्या देश का लोकतंत्र जीवित रहेगा।
उन्होंने कहा, लेकिन हमारे लोकतंत्र ने सारी आशंकाओं को गलत साबित किया। आखिर भारत लोकतंत्र की जननी है। बीते दशकें में भी देश का लोकतंत्र सशक्त हुआ है, समृद्ध हुआ है। मोदी ने कहा कि मन की बात का यह कार्यक्रम इस महीने के अंतिम रविवार के बजाय तीसरे रविवार को आयोजित किया गया है, क्येंकि अगले रविवार को गणतंत्र दिवस है। आम तौर पर यह कार्यक्रम महीने के आखिरी रविवार को होता है। उन्होंने कहा कि इस बार का गणतंत्र दिवस बहुत विशेष है क्येंकि ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगाँ है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान संविधान सभा में बहस के दौरान बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, राजेन्द्र प्रसाद और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संबोधनें के ऑडियो क्लिप का कुछ अंश भी सुनाया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने सभी के हित में मिलकर काम करने का आह्वान किया, जबकि प्रसाद ने मानवतावादी मूल्यें के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और मुखर्जी ने अवसरों की समानता के विषय पर जोर दिया। (भाषा)