एक चुनाव पर पहली बैठक में जमकर तर्क-वितर्क
नई दिल्ली, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार करने के लिए गित संसद की संयुक्त समिति की पहली बैक में बुधवार को सदस्यों के बीच जमकर तर्क-वितर्क हुए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने एक साथ चुनाव के विचार की पुरजोर पैरवी की तो विपक्षी सदस्यों ने इस विचार को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल ढाँचे पर हमला है।
इस 39 सदस्यीय समिति की बैक में भाग लेने वाले सांसदों ने विधेयकों के प्रावधानों और औचित्य पर विधि और न्याय मंत्रालय की एक प्रस्तुति के बाद अपने विचार व्यक्त किए तथा सवाल पूछे।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई विपक्षी सांसदों ने इस दावे पर सवाल उाया कि एक साथ चुनाव कराने से खर्च कम होगा। उन्होंने पूछा कि क्या 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद खर्च का कोई अनुमान लगाया गया? 2004 के लोकसभा चुनाव सभी 543 सीटों पर पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था और माना जाता है कि इससे लागत कम हो गई थी।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा सांसदों ने इस आरोप का प्रतिवाद किया कि एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव ने कई राज्य विधानसभाओं को शीघ्र भंग करने और उनका कार्यकाल लोकसभा के साथ तय करने की आवश्यकता बताकर संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन किया है। भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने इस बात का उल्लेख किया कि 1957 में सात राज्यों की विधानसभाओं को समय पूर्व भंग कर दिया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी राज्यों के चुनाव राष्ट्रीय चुनाव के साथ हों। (भाषा)