तालाबों को जोड़ने से रोकी जा रूकेगी बाढ़ : जल संसाधन परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मानसी

हैदराबाद, जल संसाधन परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मानसी बाल भार्गव ने कहा कि नालों के अबाध प्रवाह और तालाबों के पुनरुद्धार से ही बाढ़ की समस्या को रोका जा सकेगा। उन्होंने हैद्रा आयुक्त ए.वी. रंगनाथ के साथ बैठक में हैदराबाद में तालाबों के पुनरुद्धार और बाढ़ की समस्या के समाधान पर विचार-विमर्श किया।

हैद्रा के अधिकारी तालाबों और नालों के संरक्षण और पुनरुद्धार की रणनीति तैयार करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों, जल संसाधन विकास से संबंधित विभिन्न शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ बैठकें कर रहे हैं। इसी क्रम में हैद्रा आयुक्त रंगनाथ और अन्य अधिकारियों ने आज हैद्रा कार्यालय में जल अधिकार कार्यकर्ता डॉ. मानसी बल भार्गव के साथ बैठक कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। डॉ. मानसी को हैदराबाद में हैद्रा की गतिविधियों और जल संसाधान की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।

डॉ. मानसी बल ने कहा कि तालाबों के जीर्णोंद्धार से ही शहर बाढ़ के खतरे से बच सकेगा। जिस तरह मनुष्य के शरीर में तंत्रिका तंत्र महत्वपूर्ण है, उसी तरह शहरों में तालाबों की व्यवस्था भी स्वस्थ और सुचारू होनी चाहिए। नाले ठीक होंगे, तो बाढ़ का पानी तालाब तक आसानी से पहुँचेगा और जब तालाबों के बीच संपर्क स्रोत बना रहेगा, तो एक के बाद एक तालाब भरते रहेंगे। हमें यह देखना चाहिए कि श्रृंखला नहीं टूटनी चाहिए। यदि कहीं रुकावटें हैं, तो उन्हें बहाल करना चाहिए।

डॉ. मानसी ने कहा कि भारी बारिश के कारण बेंगलुरू में भी कई हिस्सों में बाढ़ आयी थी। वहाँ व्यवस्था को सुधारा जा रहा है। अगर शहर में तालाबों की व्यवस्था ठीक नहीं है, तो तालाबों के जोड़ें, श्रृंखलाबद्धता और अन्य व्यवस्था को सुचारू रूप देना चाहिए। तालाबों के प्राकृतिक रूप से पुनरुद्धार के तरीकों पर बात करते उन्होंने कहा कि नाले तालाबों की जीवनधारा हैं। पहले उन्हें संरक्षित किया जाए। साथ ही यह देखा जाए कि उसमें प्रदूषित जल का प्रवेश न हो। इससे तालाब भी प्रदूषण से बचाए जा सकेंगे। पुनरुद्धार के बाद तालाबों का जल सामान्य रूप से जीवनोपयोगी हो जाएगा। इस प्रकार कम लागत में तालाबों का पुनरुद्धार किया जा सकता है।

बैठक में तेज़ वर्षा के बाद बाढ़ की स्थिति से बचने के उपायों पर भी चर्चा की गयी। डॉ. मानसी ने कहा कि जो बारिश एक माह में होनी चाहिए, वह एक दिन में भी हो सकती है और जो एक दिन में होती है, वह एक घंटे में भी हो सकती है। इससे शहर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसलिए बाढ़ के पानी के नालों का साफ-सुथरा होना और अबाध प्रवाह सुनिश्चित होना अनिवार्य है। बाढ़ का पानी तालाब तक पहुँचना चाहिए और तालाब भरे हों, तो पानी को नदी में छोड़ देना चाहिए। इसके लिए नालों और तालाबों से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है।

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