फोन टैपिंग मामले में पूर्व मंत्री हरीश राव की गिरफ्तारी पर रोक
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने फोन टैपिंग के मामले में पूर्व मंत्री तन्नीरु हरीश राव को गिरफ्तार न करने के आदेश दिए, लेकिन मामले की जाँच जारी रखने के लिए कहा। इसके साथ ही शिकायतकर्ता कांग्रेस नेता चक्रधर गौड़ को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई तक प्रतियाचिका दायर करने के आदेश दिए। इस संदर्भ में अंतरिम आदेश जारी किया गया।
गौरतलब है कि फोन टैपिंग की घटना को लेकर पंजागुट्टा पुलिस द्वारा दर्ज मामले को खारिज करने का आग्रह करते हुए सिद्दीपेट विधायक व पूर्व मंत्री हरीश राव ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि झूठे आरोपों के साथ दर्ज एफआईआर अनुचित है। इसके साथ ही इस मामले की जाँच-पड़ताल पर रोक लगाते हुए गिरफ्तार न करने के आदेश देने का आग्रह किया गया। इस याचिका पर आज उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता रामचंदर राव और सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी। चक्रधर गौड़ ने गत 23 नवंबर को उनका और उनके परिवार के सदस्यों का फोन टैप किए जाने की पंजागुट्टा पुलिस थाने में शिकायत की थी।
गौरतलब है कि सिद्दीपेट से हरीश राव और चक्रधर गौड़ ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। चक्रधर गौड़ ने आरोप लगाया कि सत्ता में रहने के दौरान हरीश राव ने उनके और उनके परिवार का फोन टैप करवाया, जो टेलीग्राफ अधिनियम के तहत एक गंभीर अपराध है। चक्रधर गौड़ का फोन टैप किए जाने की एप्पल कंपनी द्वारा मेल के जरिए जानकारी दी गई। याचिका में यह भी बताया गया कि दर्ज एफआईआर को खारिज करना संभव नहीं है। यदि अग्रिम जमानत के बारे में देखा जाए, तो यह स्पष्ट हो रहा है कि गंभीर धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इस कारण गिरफ्तारी से बचने के लिए कोई अवसर न देने का अदालत से आग्रह किया गया। इस दौरान न्यायाधीश ने हस्तक्षेप कर कहा कि एप्पल कंपनी अपने ग्राहकों को सतर्क करने के लिए मैसेज भेजती है और गत अगस्त माह में मैसेज मिलने पर तब से लेकर आज तक याचिकाकर्ता ने क्या किया, यह सवाल उठाया। फोन टैपिंग के आरोप से पहले हरीश राव पर चक्रधर गौड़ ने कई शिकायतें की और चुनाव याचिका भी दायर की। इससे स्पष्ट हो रहा है कि याचिकाकर्ता को पूर्व मंत्री के खिलाफ शिकायत करने की आदत हो गई है। इसके पूर्व उनके खिलाफ कई याचिकाएँ भी दायर की गई, लेकिन बाद में याचिकाएँ वापस ले ली गई। दलील सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने हरीश राव को गिरफ्तार न करने के आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।