शिक्षा को लेकर राजनीति न करें : सीतक्का

हैदराबाद, पंचायतराज व ग्रामीण विकास मंत्री सीतक्का ने शिक्षा को लेकर विपक्षी दलों से राजनीति न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन व छात्रावासों में आहार को लेकर अनियमितता होने पर दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है।

राज्य विधानसभा में आज गुरुकुल पाठशालाओं व हॉस्टलों में मौलिक सेवा सुविधाओं पर लघु चर्चा का जवाब देते हुए सीतक्का ने कहा कि मध्याह्न भोजन व हॉस्टलों में आहार को लेकर लम्बे समय से कुछ घटनाएँ हो रही है। विशेषकर हाल ही में विषाक्त भोजन की कुछ घटनाएँ प्रकाश में आई। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने देने के लिए कांग्रेस सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। इसके पूर्व भारास सरकार के दौरान भी इस प्रकार की घटनाएँ हुई है, इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत है। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी तेलंगाना में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य कर रहे हैं।

हाल ही में हुई विषाक्त भोजन की घटनाओं में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि भारास सरकार के शासन के समय वर्ष 2014 से दिसंबर-2023 के दौरान विषाक्त भोजन व अन्य घटनाओं में 64 विद्यार्थियों की मौत हो गई और इस वर्ष विषाक्त भोजन के कारण एक छात्रा की और अन्य कुछ घटनाओं जैसे साँप काटने, शॉक लगकर झुलसने व अन्य हादसों में कुल 26 विद्यार्थियों की मौत हुई है। इन घटनाओं को रोकने के लिए ही सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारास सरकार के दौरान सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी खराब रही और भारास सरकार ने जो गलतियाँ की, उन गलतियों को कांग्रेस सुधार रही है। उन्होंने कहा कि इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय सरकारी स्कूलों की स्थिति क्या थी, क्योंकि स्वयं तत्कालीन मुख्यमंत्री केसीआर, पूर्व मंत्री केटीआर ने एक सरकारी स्कूल का दौरा किया और उस समय केटीआर का लड़का भी साथ था और स्कूल में प्रवेश करते ही लड़के ने अपनी नाक बंद कर ली और कहा कि क्या स्कूल ऐसे होते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्ष के दौरान भारास सरकार ने शिक्षा की उपेक्षा की। इस उपेक्षा के कारण ही आज सरकारी स्कूल बदतर हो गए हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री रेंवत रेड्डी इस दिशा में एक योजना के साथ काम कर रहे हैं, जिसके तहत हाल ही में इंटीग्रेटेड मिड डे मील योजना को अमल में लाते हुए सप्ताह भर विद्यार्थियों को दिए जाने वाले पोष्टिक आहार की सूची तैयार की गई और इस सूची के आधार पर ही सभी सरकारी स्कूलों में एक तरह का पौष्टिक भोजन परोसा जा रहा है। विषाक्त भोजन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए टास्क फोर्स का गठन करने के अलावा आहार भद्रता समितियों का गठन किया गया। समितियाँ और टास्क फोर्स प्रतिदिन सरकारी स्कूलों और हॉस्टलों का दौरा कर परोसे जाने वाले भोजन की जाँच-पड़ताल करेगी।

सीतक्का ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार का श्रीगणेश करते हुए यंग इंडिया इंटीग्रेटेड रेसिडेंशियल स्कूल व्यवस्था को अमल में लाया जा रहा है। इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसी प्रकार स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की समीक्षा हेतु अम्मा आदर्श पाठशाला समितियाँ गठित की गई। इन समितियों में समिति में स्थानीय महिला स्वयं सहायता दलों की महिलाओं को सदस्य बनाया गया है, क्योंकि इन महिला सदस्यों के अधिकांश बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और वे अच्छी तरह से सेवा सुविधाओं की समीक्षा कर सकते हैं। खस्ताहाल 25,941 स्कूलों में मरम्मत के कार्य हेतु बजट का आवंटन किया गया है।

4,137 सरकारी स्कूलों में शौचालय का निर्माण किया गया और 10,225 टीचरों का डीएससी के माध्यम से चयन किया गया और इनमें से 10,006 चयनित टीचरों ने अपनी सेवा प्रारंभ कर दी है। लगभग एक हजार टीचरों द्वारा अन्य कुछ प्रतिस्पर्धी परीक्षाएँ लिखी है और उन्हें वहाँ नौकरी मिल जाने के कारण वे टीचर के पद पर नियुक्त नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्ष से डाइट, कॉस्मेटिक खर्चों में वृद्धि नहीं की गई और कांग्रेस के सत्ता में आते ही डाइट खर्च में 40 प्रतिशत और कॉस्मेटिक खर्च में 200 गुणा वृद्धि की गई है। इसी प्रकार प्रति वर्ष स्कूलों के रखरखाव हेतु 136 करोड़ रुपये जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा विषय है, जिसके माध्यम से हम देश की भावी पीढ़ी को तैयार कर सकते हैं। इसीलिए शिक्षा को लेकर राजनीति करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने तेलंगाना में सबसे पहला गुरुकुल पाठशाला का शुभारंभ किया था और इसे कांग्रेस सरकार ने विस्तार दिया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में 1:16 के अनुपात में विद्यार्थी और टीचर होने चाहिए, लेकिन वर्तमान समय में यह अनुपात 1:30 है, लेकिन हमें विश्वास है कि अगले चार वर्ष के दौरान हम इस अनुपात को पूरा कर लेंगे। उन्होंने कहा कि मिड डे मील के लिए भोजन तैयार करने वाले कर्मचारियों को तीन हजार रुपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है, जिसमें 600 रुपये केंद्र सरकार और 2,400 रुपये राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गुरुकुल पाठशालाओं, आवासीय पाठशालाओं व सरकारी विद्यालयों से कई विद्यार्थियों ने नीट, ट्रिपल आईटी और मेडिकल कॉलेज में सीटें हासिल की। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के कार्यों में सहयोग देने की अपील की। सीतक्का ने कहा कि विषाक्त भोजन के कारण शैलजा नामक एक छात्रा का निधन हो गया और दिवंगत छात्रा के परिवार को तीन लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा देने के अलावा परिवार के एक सदस्य को ठेका पद्धति पर नौकरी तथा इंदिरम्मा आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध करवाया जा रहा है।

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