हैद्रा आयुक्त रंगनाथ ने उच्च न्यायालय से बिना शर्त माफी माँगी

हैदराबाद, हैद्रा आयुक्त ए.वी. रंगनाथ ने हैदराबाद के बथुकम्मकुंटा इलाके में एक निजी जमीन के झगड़े में यथास्थिति बनाए रखने के पिछले आदेशों का उल्लंघन करने के मामले में उच्च न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी है। शुक्रवार को रंगनाथ स्वयं अदालत में खंडपीठ के सामने पेश हुए और माफी मांगी। उन्होंने बताया कि वे अदालत का सम्मान करते हैं और उन्हें बाचुपल्ली में बाढ़ के कारण जाना पड़ा था।

इस वजह से वे पिछले महीने की 27 तारीख को सुनवाई में खुद नहीं आ सके। हैद्रा आयुक्त रंगनाथ की माफी उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में दर्ज हो गई। उन्हें आगे की सुनवाई में पेश होने से छूट दे दी गई। उच्च न्यायालय ने गत 12 जून को विवादित बथुकम्माकुंटा स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने और स्थल में कोई बदलाव न करने का अंतरिम आदेश जारी किया था। जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस बी आर मधुसूदन राव की खंडपीठ ने शुक्रवार को ए. सुधाकर रेड्डी द्वारा दायर अदालत की अवमानना की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें हैद्रा आयुक्त रंगनाथ के खिलाफ आदेश का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी।

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रंगनाथ ने उच्च न्यायालय में अवमानना मामले में माफी मांगी

उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई में खुद पेश न होने पर रंगनाथ से नाराजगी जताई। इस संदर्भ में वे आज सुनवाई में पेश हुए और माफी मांगी। विशेष सरकारी अधिवक्ता स्वरूप उरीला ने तर्क दिया कि अदालत के आदेशों का उल्लंघन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि केवल स्थल की सुरक्षा के लिए कदम उठाए गए थे। उन्होंने बताया कि स्थल पर अतिक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय किए गए थे। यह अदालत की अवमानना की कार्रवाई के तहत नहीं आता है।

रंगनाथ पिछली सुनवाई में शामिल होने वाले थे, लेकिन बाढ़ के कारण उन्हें उन इलाकों की निगरानी करने जाना पड़ा जहां पानी भर गया था। उन्होंने कहा कि इसे फेंसिंग के लिए प्राइवेट कंपनी को सौंप दिया गया था। उन्होंने इस मामले के संबंध में पेश किये काउंटर और फोटो की जांच करने को कहा। वे यह कहना चाहते थे कि मुख्यमंत्री ने तालाब के विकास का काम शुरू कर दिया है, तब हस्तक्षेप कर खंडपीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री और दूसरी बातों की जरूरत नहीं है।

खंडपीठ ने कहा कि अदालत के आदेश जारी होने के बाद हालात में कोई फर्क आया या नहीं। अवमानना की याचिका में इसे मुख्य मुद्दा बताया गया। याचिकाकर्ता के दिए सबूतों के मुताबिक, वहां के हालात पूरी तरह बदल गए थे और जगह को पहचान से परे बदल दिया गया था। यह भी कहा गया कि काउंटर पर ही कंस्ट्रक्शन किया जा रहा था। यह ऐलान किया गया कि इसकी पूरी जांच की जाएगी। सुनवाई 18 तारीख तक टाल दी गई। यह भी ऐलान किया गया कि उसी दिन सिविल कोर्ट के ऑर्डर पर भी सुनवाई होगी।

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