हैदराबाद : राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ हेतु निकली भव्य कलश यात्रा

हैदराबाद, अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं गायत्री परिवार हैदराबाद के तत्वावधान में राष्ट्र जागरण हेतु ज्ञान ज्योति कलश यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें 2,100 महिलाओं ने कलश धारण कर भाग लिया। रामनाथ आश्रम में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के प्रज्ञा पुत्रों द्वारा वेद मंत्र उच्चारण कर तीर्थों का जल रज शक्ति कलश पूजन किया गया। कलश यात्रा का शुभारंभ सेवा रामजी महाराज द्वारा किया गया।













बेगम बाजार स्थित रामनाथ आश्रम से महिलाएँ व युवितयाँ कलश धारण क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से हो होते हुए विराट यज्ञ शाला पहुँचीं, जहाँ स्वागत द्वार पर भव्य स्वागत किया गया। विभिन्न क्षेत्र के मार्गों में कलश धारण किए महिलाओं पर पुष्प वर्षा की गई। अखिल विश्व गायत्री परिवार, हैदराबाद द्वारा अखंड दीप व वंदनीय माताजी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य एवं राष्ट्र को सशक्त एवं शक्तिशाली बनाने हेतु राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ एवं ज्योति कलश यात्रा का आयोजन किया गया।
टोली नायक दिनेश पटेल ने कहा कि मनुष्य का जीवन दुर्लभ है। मनुष्य जीवन में तीन बातें हों, तो समझें भगवान का आशीर्वाद है। पहला मनुष्यत्व दिव्य पुण्य देव कार्य करने लगे, उसमें सेवा की साधना जागृत हो और मन भगवान में लगता है, भगवान के भजन करने की इच्छा, ध्यान की इच्छ। सत्संग में उत्साह जागे, तो समझ जाएँ कि भगवान का आशीर्वाद बरस रहा है।
नारी नेतृत्व और राष्ट्र जागरण का संदेश
इसी प्रकार दूसरा आशीर्वाद है मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा होना, ताकि दोबारा जन्म लेने की आवश्यकता न पड़े। जीवन में विकारों से मुक्ति प्राप्त करना भी मोक्ष है। सुख शांति की चाहत भी प्रभु के आशीर्वाद का प्रभाव है। तीसरा महापुरुषों के सत्संग एवं ज्ञान का सौभाग्य मिलना। यह भी प्रभु का आशीर्वाद है। महाराज ने कहा कि यज्ञ सभी नहीं कर सकते। भगवान राम का अवतरण धरती पर यज्ञ के लिए ही हुआ था। उन्होंने अवतरण लेकर सभी यज्ञ करने वाले ऋषि मुनियों की रक्षा का संकल्प किया था। हम सभी यज्ञ के प्रति कृतज्ञ हैं।
यज्ञ के कारण ही धरती पर रामजी का अवतरण हुआ। हम उन्हीं परंपरा को बढ़ा रहे हैं। सभी की भागीदारी है और सभी को रामजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। माता सीता, लक्ष्मण समस्त देवी-देवता का आशीर्वाद मिलेगा। भगवान के अवतरण का उद्देश्य ही यज्ञ की रक्षा है। भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण भी यज्ञ के लिए हुआ। द्रौपदी पैदा नहीं होती, तो महाभारत न होती और भगवान कृष्ण का अवतरण नहीं होता।

प्रभु के अवतरण के पीछे सबसे बडा कारण यज्ञ है। यज्ञ अवश्य करना चाहिए। यज्ञ करने से भगवान के आशीर्वाद बोनस के रूप में प्राप्त होता है और यज्ञ से सर्वकामना की पूर्ति होती है। यज्ञ व गायत्री मंत्र वही देता है, जो साधक को चाहिए। यज्ञ से ऊर्जा मिलती है, इसलिए नित यज्ञ करना चाहिए। यह हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। परमात्मा आत्मा में बैलेंस करने का कार्य यज्ञ करता है। यज्ञ से ही जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य की प्राप्त होती है और सारी समस्या दूर होती है।
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नारी नेतृत्व और राष्ट्र जागरण का संदेश
महाराज ने कहा कि पूर्व में नारी को दबाया जाता है, पर वर्तमान में नारी नर के साथ कदम से कदम मिलाकर सेना व कई क्षेत्रों में काम कर रही है। पढ़ने में महिलाएँ आगे आ रही हैं। राष्ट्र, शिक्षा व राजनीति का नेतृत्व नारी करेगी। जो भी यज्ञ व गायत्री मंत्र करते हैं, उन्हें धन का अभाव नहीं होता। गायत्री मंत्र की साधना सभी को करनी चाहिए।
अवसर पर आरती और शांति पाठ किया गया। इसके पश्चात प्रसाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। शनिवार, 1 नवंबर को सामुहिक जप प्रज्ञा योग सुबह 5.30 से 6.30 बजे तक, देव पूजन व 108 गायत्री महायज्ञ सुबह 7.30 बजे से, डॉ. चिन्मय पंड्या का संबोधन शाम 6.31 बजे से, दीप महायज्ञ रात 7.31 बजे से होगा। रविवार, 2 नवंबर को सामुहिक जप प्रज्ञा योग सुबह 5.30 से 6.30 बजे तक, 108 गायत्री महायज्ञ पूर्णाहुति एवं विभिन्न संस्कार सुबह 7.30 बजे से, टोली विदाई दोपहर 3 बजे होगी।
भक्तों से कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम में गोशामहल के विधायक राजा सिंह, राष्ट्र जागरण 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ यज्ञ के मुख्य संजोयक गोकुल चन्द उपाध्याय, गायत्री परिवार के वरिष्ठ प्रचारक हीर सिंह राजपुरोहित, वाणी बहन गायत्री ज्ञान मंदिर बाउंपली, गायत्री प्रज्ञा मंडल के बलदेव सिंह व अन्य उपस्थित थे।
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