गंडीपेट के पास हैद्रा का ऐक्शन -बीस से अधिक बहुमंजिला इमारतों पर चला बुल्डोजर
हैदराबाद, तालाबों के बफर जोन में किये गये निर्माणों के खिलाफ हैदराबाद डिजास्टर रिस्पांस एंड एसेट्स मॉनिटरिंग एंड परेटेक्शन (हैद्रा) की कार्रवाई लगातार जारी है। आज हैद्रा की टीमों ने पुलिस बल के साथ गंडीपेट (उस्मान सागर) के पास निार्मित इमारतों में तोड़फोड़ की कार्रवाई की। विध्वंस कार्रवाई में बाधा डालने का प्रयास करने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हैद्रा आयुत्त ए.वी. रंगनाथ ने आधिकारिक रूप से बताया कि गंडीपेट के बफर जोन में अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए विध्वंस अभियान शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि बीस से अधिक अवैध इमारतों को ध्वस्त किया गया। इस दौरान विरोध करने वाले कुछ स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हैद्रा आयुत्त ने बताया कि गंडीपेट में एफटीएल क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों की ओर से हैद्रा को शिकायत की गयी थी। शिकायत के आधार पर ज़मीनी स्तर की जाँच की गयी और अधिकारियों ने पुष्टि की कि एफटीएल में अवैध निर्माण हुआ है। स्थानीय नगर पालिका, राजस्व, जल बोर्ड और पुलिस की देखरेख में बीस से अधिक बहुमंजिला इमारतों को ध्वस्त किया गया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, गंडीपेट के पास स्थानीय परधिकरण द्वारा पुरानी तिथियों में भवन निर्माण की अनुमति दी जा रही है। इस तरह अवैध रूप से पुरानी तिथियों में अनुमति जारी करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हैद्रा आयुत्त ने स्पष्ट किया कि एफटीएल परिधि में जारी किये गये अनुमति पत्र अमान्य होंगे। वर्तमान नगरपालिका नियमों के अनुसार, भवन निर्माण के लिए स्थानीय नगरपालिका अधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य है। लोगों को यह समझना चाहिए कि पूर्व में सरपंच द्वारा जारी अनुमति दस्तावेज अमान्य हैं।
हैद्रा आयुत्त ने कहा कि गंडीपेट तालाब में अवैध निर्माण के कारण प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। यह तालाब शहर को पेयजल उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण स्त्रोत के रूप में काम करता है। आस-पास के क्षेत्रों से कचरा और अन्य पदार्थ तालाब में प्रवेश कर पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। यही स्थिति रही, तो शहर को पेयजल के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नागरिक झूठे दस्तावेजों और पुरानी अनुमति से बनाए जा रहे भवनों के साथ खरीद-फरोख्त से दूर रहें।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व हैद्रा आयुत्त ए.वी. रंगनाथ ने कहा था कि उनके पास अतिक्रमणकारियों और हैदराबाद के विभिन्न हिस्सों में झीलों में कचरा फेंकने वालों की एक सूची है। यह निर्माण अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) परप्त किए बिना किए गए। हैद्रा इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा था कि सरकार बड़े पैमाने पर रियल इस्टेट को बढ़ावा दे रही है, लेकिन जल निकायों के बफर जोन में भवनों के निर्माण या अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
दूसरी ओर जीएचएमसी ने हैदराबाद में 47 झीलों के कायाकल्प का निर्णय लिया है। इसके लिए झीलों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है। 61.40 करोड़ रुपये के प्रथम पैकेज में खैरताबाद क्षेत्र में सात झीलों का पुनरुद्धार शामिल है, जबकि दूसरे पैकेज की लागत 45.88 करोड़ रुपये है, जिसमें कुकटपल्ली और शेरीलिंगमपल्ली क्षेत्रों में 26 झीलों को शामिल किया गया है। तीसरे पैकेज में 54.07 करोड़ रुपये की लागत से एल.बी. नगर, सिकंदराबाद और चारमीनार क्षेत्रों में 14 झीलों का उन्नयन किया जाएगा।