आसमान छूते सोना-चांदी के दौर में प्लेटिनम ज्वेलरी के प्रति बढ़ा आकर्षण
युवतियाँ पहले जहां प्लेटिनम ज्वेलरी इनकी क्लासिक लुक के साथ-साथ खुद को भीड़ से अलग दिखाने के लिए पहना करती थीं, अब वहीं इसके पीछे के आकर्षण का कारण किसी हद तक सोने-चांदी की बढ़ी कीमतें भी हो गई हैं। प्लेटिनम न सिर्फ लुक वाइज अच्छा लगता है बल्कि यह आज भी बजट के दायरे में है। साथ ही मॉडर्निटी का भी परिचायक प्रतीत होता है। बात सिर्फ पैसों की भी नहीं है।
आजकल का जमाना कुछ नया और हमेशा कुछ हटकर करने का है। हमारी युवा पीढ़ी नयेपन की दीवानी है। उसके लिये चाहे उन्हें नये प्रयोग करने पड़े या फिर कुछ नये। बाज़ार में प्लेटिनम पहले भी मौजूद रहा है। लेकिन इसकी मांग में इन दिनों खासी बढ़ोत्तरी हुई है। इन दिनों सिम्पल मेकअप के साथ प्लेटिनम ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ चुका है। खासतौर पर 20 से 25 साल की लड़कियों के बीच, लेकिन प्रोफेशनल महिलाओं के लिये भी यह एक बेहतर विकल्प है।
पेशेवर महिलाओं में बढ़ता आकर्षण
आमतौर पर महिलाएं दफ्तर में गोल्ड पहनने से भी हिचकती हैं, लेकिन प्लेटिनम के साथ ऐसी कोई सीमा नहीं है। यह पारंपरिक ज्वेलरी की तुलना में अपनी ओर ज्यादा आकर्षित करता है। ज्वेलरी पहनना पसंद नहीं करने वाली युवा प्रोफेशनल्स को भी प्लेटिनम की एक पतली चेन पहनना अच्छा लगता है। इसकी कई वजहें हैं। इनमें से एक वजह यह भी है कि अब सोने और चांदी के बहुत महंगे हो जाने के कारण विद्रोही युवाओं ने इसके साथ जाना तय किया है। उषा नागेर जो कि 38 साल की हैं और एक स्थानीय स्कूल में पीटी टीचर हैं, वह कहती हैं, वक्त ने बहुत तेज गति पकड़ ली है।

खासतौर पर महिलाओं के परिदृश्य में तो यह बात सौ फीसदी खरी उतरती है। जहां एक ओर उनमें कामकाज के प्रति चाहत और लगन बढ़ी है, वहीं ज्वेलरी के प्रति भी उनका मोह बढ़ रहा है। यहां सवाल कौंध सकता है कि सब कुछ के बावजूद गोल्ड और प्लैटिनम की कोई तुलना की जा सकती है भला? इस पर विशेषज्ञों का कहना था भारतीय नारी में ज्वेलरी के प्रति लगाव हमेशा से रहा है और रहेगा। फर्क केवल इतना है कि अब गहनों को लॉकर में बंद रखने का चलन खत्म हो गया है। जबकि गोल्ड विशेष तौरपर हेवी गोल्ड ज्वेलरी अभी भी साल में बमुश्किल दो से तीन बार ही बाहर निकलती है।
शुद्धता, मजबूती और युवतियों में आत्मविश्वास बढ़ाए
प्लेटिनम के साथ यह समस्या नहीं है। प्लेटिनम गहनों की मांग बढ़ने की असली वजह यह है कि प्लेटिनम 95 प्रतिशत शुद्ध ज्वेलरी धातु है जबकि 18 कैरेट सोना 75 प्रतिशत या 22 कैरेट सोना 91.6 प्रतिशत ही शुद्ध रहता है। यह प्लेटिनम की शुद्धता ही है, जो गहनों पर लगे हीरों को सही चमक प्रदान करती है। प्लेटिनम का घनत्व और वजन इसे अन्य धातुओं से अधिक टिकाऊ व मजबूती प्रदान करता है। वर्षों तक उपयोग के बावजूद प्लेटिनम के गहनों का वजन कम नहीं होता है। चूंकि प्लेटिनम मॉर्डनिटी का परिचायक है इसलिये युवतियों को यह स्वतंत्रता का भी एहसास करता है।


इसे पहनने से खुद को आत्मविश्वास से भरा हुआ पाती हैं। खुद को नये दौर से जुड़ी हुई पाती हैं। दूसरों से अलग दिखने की चाह भी प्लेटिनम के जरिये आसानी से पूरी की जा सकती है। यही वजह है कि अब भी प्लेटिनम को ब्राइडल ज्वेलरी में शुमार नहीं किया गया है। लेकिन युवतियों को इसकी यही खूबी खासा आकर्षित करती है। हेवी ज्वेलरी पहनना हमेशा मुमकिन नहीं होता है। इसके लिये प्लेटिनम ज्वेलरी बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहे हैं। यही नहीं, सोने की तुलना में प्लेटिनम की और भी खासियतें हैं।
युवतियों में आकर्षण और नयापन पैदा करने वाली खूबी
दरअसल, सोना आमतौर पर विशेष अवसरों में ही पहनने के लिये होता है। जबकि प्लेटिनम के साथ ऐसी मजबूरियां नहीं होतीं। प्लेटिनम की खूबियों को फेहरिस्त अभी खत्म नहीं हुई है। किसी भी युवती में ज्वेलरी के प्रति जुनून पैदा करने के लिये किन गुणों की मूलत आवश्यकता होती है?
एक-सा रंग, भार व रूप आदि में एक-दूसरे के समान होना, बीच में कहीं गांठ का न होना, टिकाऊ होना, अच्छी तरह साफ करके चमकाया हुआ होना, विभक्त अवयवों वाला होना, पहनने में सुविधाजनक होना, मनोहर व आकृति वाला होना और ये सभी खूबियां आपको प्लेटिनम के आभूषणों में सहज मिल जाएंगी।

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अंत में इतना कहना पर्याप्त होगा कि शायद ही कोई ऐसी विशेषता हो जो प्लेटिनम में मौजूद न हो। यही वजह है कि इन दिनों युवतियां प्लेटिनम के पीछे पागल-सी हो रही हैं। यह स्वाभाविक भी है। प्लेटिनम ज्वेलरी युवतियों को नयेपन का एहसास भी कराती है। ऐसे में भला युवतियां कब तक खुद को प्लेटिनम ज्वैलरी से दूर रख पातीं।
-नीलोफर
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