सीमा सुरक्षा के लिए बृहद ड्रोन रोधी इकाई गित करेगा भारत : शाह
जोधपुर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही एक बृहद ड्रोन रोधी इकाई का गन करेगा, क्योंकि आने वाले दिनों में मानव रहित यानों का खतरा गंभीर होने वाला है।
भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित बीएसएफ के प्रशिक्षण शिविर में बीएसएफ के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक समारोह में जवानों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि लेजर युक्त ड्रोन रोधी गन-माउंटेड तंत्र के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन को मार गिराने और उनका पता लगाने की क्षमता तीन प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है। शाह ने कहा, आने वाले दिनों में ड्रोन का खतरा और भी गंभीर होने वाला है… हम इससे निपटने के लिए समग्र सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए रक्षा और अनुसंधान संगनों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम आने वाले समय में देश के लिए एक बृहद ड्रोन रोधी इकाई का गन करने जा रहे हैं। आधिकारिक आँकड़े के अनुसार पाकिस्तान से सटी भारत की सीमा से लगे इलाके में इस वर्ष 260 से अधिक ड्रोन मार गिराये गए या बरामद किए गए हैं, जबकि 2023 में यह आँकड़ा करीब 110 ड्रोन का था।
हथियार और नशीले पदार्थ ले जाने में ड्रोन के इस्तेमाल की सबसे अधिक घटनों पंजाब में हुई हैं, जबकि राजस्थान और जम्मू में कुछ घटनाएँ हुई हैं।
गृहमंत्री ने रस्मी परेड का अवलोकन किया और सलामी ली तथा वीरता पुरस्कार विजेताओं को पदक और कुछ अन्य अलंकरण प्रदान किए। बीएसएफ की स्थापना एक दिसंबर 1965 को की गई थी, जिसमें फिलहाल 2.65 लाख जवान हैं। मुख्य रूप से इसका काम देश के आंतरिक सुरक्षा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों के निर्वहन के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगती 6,300 किलोमीटर की भारतीय सीमा की सुरक्षा करना है।
शाह ने कहा कि पाकिस्तान (2,289 किलोमीटर) और बांग्लादेश (4,096 किलोमीटर) से सटी भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) पर काम प्रगति पर है।
उन्होंने कहा, हमें असम के धुबरी (भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा) में नदी सीमा पर स्थापित सीआईबीएमएस के प्रभावशाली परिणाम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन कुछ सुधार की जरूरत है।
मंत्री ने यह भी कहा कि उत्तरी सीमाओं की आबादी को विकसित करने और मुख्यधारा में लाने के लिए मोदी सरकार के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) को भविष्य में देश के सभी सीमावर्ती गाँवों के लिए लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसमें सीमा सुरक्षा को बढ़ाने और इन दूरदराज के इलाकों में रहने वाली आबादी के लिए 4,800 करोड़ रुपये के कोष आवंटन के साथ काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे वर्तमान में लगभग 3,000 गाँवों में प्रायोगिक आधार पर संचालित किया जा रहा है। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत की सीमाओं को मजबूत करने के लिए बड़ा बजट मंजूर किया है जिसमें बाड़ लगाना, सीमावर्ती बुनियादी ढाँचा, सड़कें और अन्य साजोसामान शामिल है।
उन्होंने कहा, वर्ष 2047 तक भारत के लिए वैश्विक मान्यता प्राप्त करना और नंबर एक स्थान हासिल करना हमारे सुरक्षा कर्मियों के बिना संभव नहीं है… जो समर्पण के साथ हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं। भारत की सीमाओं की सुरक्षा के बारे में शाह ने कहा कि कई वर्षों से भारत की सीमा सुरक्षा नीति में स्पष्टता का अभाव था।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान सीमा प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण और एक सीमा, एक बलै नीति शुरू की गई थी, जो नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद और भी अधिक परिभाषित हो गई है। शाह ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा के 591 किलोमीटर पर बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि 579 निगरानी चौकियों के निर्माण के अलावा सीमा के 1,159 किलोमीटर पर फ्लडलाइट लगाई गई हैं।(भाषा)