एफटीएल अधिसूचना के पूर्व आपत्तियों को निपटाने के निर्देश
हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने रंगारेड्डी ज़िला, शेरीलिंगमपल्ली मंडल के बाचुपल्ली स्थित अम्बीर तालाब के एफटीएल के निर्धारण से पूर्व श्री साई को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी द्वारा उठाई गई आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए कानून के तहत निर्णय लेने के सिंचाई विभाग के अधिकारियों को आदेश जारी किए। अदालत ने कहा कि उठाई गई आपत्तियाँ एफटीएल अधिसूचना के लिए अवरोध नहीं है, यदि पट्टा भूमि डूबती है, तो हर्जाना प्राप्त किया जा सकता है।
रंगारेड्डी ज़िला, अम्बीर तालाब एफटीएल की परिधि से अपनी भूमि को छूट देने के लिए गत 4 अप्रैल को दिए गए विनती पत्र पर कार्रवाई करने के लिए आदेश देने का आग्रह करते हुए श्री साई को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। इस याचिका पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस सी.वी. भास्कर रेड्डी ने सुनवाई प्रारंभ की।
एफटीएल निर्धारण पर आपत्तियाँ और अदालत का आदेश
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने दलील देते हुए बताया कि बाचुपल्ली सर्वे नं. 171 की भूमि वर्ष 2018 के सर्वे के अनुसार एफटीएल की परिधि में नहीं है। 1981 में गठित सोसाइटी के सदस्यों ने गृह निर्माण हेतु भूमि खरीदी। हाल ही में अधिकारियों ने सोसाइटी को किसी प्रकार की कोई नोटिस जारी किए बिना एफटीएल का निर्धारण करते हुए प्राथमिक अधिसूचना जारी की।
सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता ने दलील देते हुए बताया कि एफटीएल निर्धारण हेतु प्राथमिक अधिसूचना जारी करने से पूर्व आपत्तियाँ आमंत्रित की गई थीं, जिस पर सोसाइटी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई। प्राथमिक अधिसूचना पर कोई आपत्ति हो, तो वे इसे व्यक्त कर सकते हैं। व्यक्त की गई आपत्तियों को ध्यान में रखने के बाद ही एफटीएल के निर्धारण हेतु अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।
दलील सुनने के पश्चात न्यायाधीश ने राज्य भर में स्थित सभी तालाबों के एफटीएल के निर्धारण हेतु अधिसूचना जारी करने के लिए इसी अदालत ने एक जनहित याचिका पर आदेश जारी किए थे। इस नैपथ्य में अधिसूचना जारी करने पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है। एफटीएल के कारण कोई प्रभावित होता है, तब उन्हें आवश्यक दस्तावेजों के साथ आपत्ति जताने का अधिकार है।
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एफटीएल निर्धारण और अवैध निर्माण हटाने पर निर्णय
उठाई गई आपत्तियाँ एफटीएल के निर्धारण के तहत या अवैध निर्माणों की पहचान करने के दौरान या उन्हें हटाने के दौरान अवरोधक नहीं होगी। इस प्रक्रिया में पट्टादारकों के अधिकार पर प्रभाव पड़ता है और उनकी भूमि एफटीएल और बफर जोन में डूब जाती है, वे अपनी भूमि के लिए हर्जाना प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया को रोकने का अधिकार नहीं है।
सिंचाई अधिनियम के अनुसार, तालाब में अवैध निर्माण को हटाने का अधिकार सिंचाई और राजस्व अधिकारियों को है। इसके साथ ही इस अधिनियम के अनुसार टैंक बेड बफर जोन, शिकम भूमि को पट्टा जारी नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार की भूमि का नियमितीकरण करने का अधिकार राज्य को भी नहीं है।
वर्तमान मामले में किसी प्रकार की नोटिस दिए बिना प्राथमिक अधिसूचना जारी करने पर श्री साई को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी आपत्ति जता रही है। इस कारण एफटीएल अधिसूचना पर आपत्तियों को अधिकारियों को सौंपने का सोसाइटी को आदेश दिया गया। सौंपी गई आपत्तियों की समीक्षा कर कानून के तहत 6 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का अधिकारियों को आदेश देते हुए याचिका पर सुनवाई पूर्ण करने की न्यायाधीश ने घोषणा की।
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