अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस : इंटरनेट: समय, स्थान और सीमाओं से परे एक क्रांति
एक पल ने सारी दुनिया को एक धागे में पिरो दिया। एक पीन की झिलमिलाहट, एक तार का जादू और अचानक हर दिल इतना करीब आ गया कि दूरी बस एक सपना बनकर रह गई। यह इंटरनेट है -वह चमत्कार, जिसने समय और स्थान की दीवारों को रेत की तरह उड़ा दिया। 29 अक्तूबर, राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस, सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक लम्हे का उत्सव है, जिसने 1969 में पहला डिजिटल संदेश भेजकर संसार को एक कर दिया।
भारत जैसे देश के लिए, जहां हर गांव की मिट्टी और हर गली की हवा कहानियां गुनगुनाती है, इंटरनेट महज तकनीक नहीं, बल्कि सपनों का उजाला है। यह वह शक्ति है, जो एक किसान को वैश्विक बाजार की चौखट तक ले जाती है, एक छात्रा को विश्व के ज्ञान-सागर से जोड़ती है और एक छोटे से कस्बे के सपने को दुनिया का मंच देती है। 1969 की वह ऐतिहासिक रात, जब कैलिफोर्निया के यूसीएलए से चार्ली क्लेन ने स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट को एक साधारण एलओ संदेश भेजा, मानो दुनिया ने नया सूरज देख लिया।
यह आर्पानेट (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क), अमेरिकी रक्षा विभाग की दूरदर्शी देन, ने ठंडे युद्ध के बीच संचार की अनंत संभावनाएं जगा दीं। भले ही वह संदेश, लॉगिन का अधूरा टुकड़ा, ाढश हो गया, लेकिन उसने एक ऐसे युग का द्वार खोला, जिसने दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। 1983 में टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल ने इसकी नींव को अटल बनाया और 1991 में टिम बर्नर्स-ली के वर्ल्ड वाइड वेब ने इंटरनेट को हर घर की दहलीज तक पहुंचा दिया।
भारत में इंटरनेट विकास की प्रेरक यात्रा
2005 से 29 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे इंटरनेट उपयोगकर्ता संघ और संयुक्त राष्ट्र के विश्व सूचना समाज शिखर सम्मेलन ने वैश्विक पहचान दी। भारत में यह राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस एक प्रेरणा का प्रतीक है -एक ऐसा देश, जहां 1.4 अरब दिल डिजिटल सपनों की उड़ान भर रहे हैं। भारत में इंटरनेट की कहानी किसी स्वप्निल सैर से कम नहीं। 1986 में ईआरनेट (एजुकेशनल रिसर्च नेटवर्क) ने आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों को डिजिटल दुनिया से जोड़ा।
1988 में एनआईसीनेट ने सरकारी संचार को नई रफ्तार दी। लेकिन 15 अगस्त 1995 को वीएसएनएल (विदेश संचार निगम लिमिटेड) की गेटवे इंटरनेट एक्सेस सर्विस ने आजादी का नया अध्याय लिखा। कोलकाता में पहला कनेक्शन, 9.6 केबीपीएस की धीमी गति और 250 घंटे के लिए 5000 रुपये का मासिक शुल्क, तब इंटरनेट कुछ खास लोगों की पहुंच में था। 1998 में सत्यम इन्फोवे ने निजी इंटरनेट की शुरुआत की और 2000 के दशक में मोबाइल इंटरनेट ने रफ्तार पकड़ी।
2016 में रिलायंस जियो की 4-जी क्रांति ने जैसे सारी बाधाएं तोड़ दीं। सस्ते डेटा ने गांव-गांव को डिजिटल दुनिया से जोड़ा। 2025 में, ट्राईके अनुसार, भारत में 92 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और 5-जी के साथ 2030 तक हर हाथ में डिजिटल पहुंच का सपना साकार होने को है। डिजिटल इंडिया, भारतनेट और पीएम वाणी ने गांवों को वाई-फाई हॉटस्पॉट्स से जगमगा दिया।
डिजिटल क्रांति: अवसर, उपलब्धियां और चुनौतियां
कोविड-19 के दौर में इंटरनेट ने नया जीवन दिया -ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन और रिमोट वर्क ने अर्थव्यवस्था को थामे रखा। यह कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि उन अनगिनत जिंदगियों की है, जिन्हें इंटरनेट ने उड़ान दी। राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस भारत के लिए एक प्रेरणा का उत्सव है, जो सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत देता है। आर्थिक रूप से, इंटरनेट ने एक नई क्रांति रची – फ्लिपकार्ट पेटीएम और जोमैटो जैसे स्टार्टअप यूनिकॉर्न बनकर उभरे।
2024 में ई-कॉमर्स का कारोबार 5.5 लाख करोड़ रुपये को छू गया और यूपीआई ने 13 अरब ट्रांजेक्शन के साथ वैश्विक कीर्तिमान स्थापित किया। सामाजिक रूप से, सोशल मीडिया ने हर आवाज को बुलंद किया -मीटू और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों ने समाज को जागृत किया। महिलाओं की डिजिटल दुनिया में भागीदारी चमकी – 2023 में 42 प्रतिशत इंटरनेट उपयोगकर्ता महिलाएं थीं। शिक्षा में, स्वयं और दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म ने 10 करोड़ से अधिक छात्रों के लिए ज्ञान के द्वार खोले।
स्वास्थ्य क्षेत्र में, ई-संजीवनी ने 22 करोड़ टेलीकन्सल्टेशन के साथ जीवन को सहारा दिया। मगर चुनौतियां कम नहीं – 2024 में साइबर अपराध 35 प्रतिशत बढ़ा और 38 प्रतिशत ग्रामीण आबादी अभी भी डिजिटल दुनिया से अछूती है। डेटा गोपनीयता और फेक न्यूज की चुनौतियां गहरी हैं। राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस, सुरक्षित इंटरनेट दिवस (फरवरी) की तरह, हमें इनका सामना करने का संकल्प देता है।
राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस: डिजिटल भारत का स्वप्न और संकल्प
भारत की वैश्विक डिजिटल पहचान गर्व का विषय है। यूपीआई ने भूटान, नेपाल और यूएई में अपनी छाप छोड़ी। भारतीय मूल के सुंदर पिचाई (गूगल) और सत्य नडेला (माइाढासॉफ़्ट) एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग में दुनिया को राह दिखा रहे हैं। लेकिन भविष्य एआई नैतिकता, डेटा संप्रभुता और साइबर सुरक्षा जैसे सवालों से जूझेगा। भारतनेट ने 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को फाइबर से जोड़ा, फिर भी इंटरनेट की गति और विश्वसनीयता को और बेहतर करना होगा। राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस हमें सिखाता है कि तकनीक सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि समावेशिता, शिक्षा और सशक्तिकरण का प्रदीप है, जो मानवीय मूल्यों को रोशन करता है।
राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस महज एक तारीख नहीं, बल्कि एक स्वप्न का उत्सव है – वह स्वप्न जो हर भारतीय के दिल को वैश्विक क्षितिज से जोड़ता है। यह उस गृहिणी की हिम्मत है, जो ऑनलाइन स्टोर खोलकर अपने सपनों को पंख देती है; उस छात्र की उड़ान है, जो कोर्सेरा पर कोडिंग सीखकर भविष्य गढ़ता है और उस किसान की उम्मीद है, जो डिजिटल मंडी में अपनी फसल बेचकर आत्मनिर्भर बनता है।

मगर यह एक संकल्प भी है -एक सुरक्षित, समावेशी और सतत डिजिटल भविष्य रचने की जिम्मेदारी। 2030 तक, जब भारत डिजिटल सुपरपावर के रूप में विश्व मंच पर चमकेगा, यह दिवस उस गौरवमयी यात्रा का प्रतीक बनेगा। इस इंटरनेट युग में एक वचन लैं -हर भारतीय को डिजिटल दुनिया से जोड़ें, हर सपने को आसमान छूने दें। क्योंकि इंटरनेट सिर्फ तारों का जाल नहीं, बल्कि भारत की धड़कन है, जो इसे विश्व गुरु की राह पर ले जा रहा है।
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