सिंचाई मंत्री उत्तम रेड्डी का जुराला परियोजना पर बीआरएस को जवाब

हैदराबाद, सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने आरोप लगाया कि मुख्य विपक्षी बीआरएस नेता जुराला, मंजीरा आदि सिंचाई परियोजनाओं की सुरक्षा को लेकर झूठा प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन परियोजनाओं के लिए कोई खतरा नहीं है। साथ ही जोड़ा कि इन परियोजनाओं में आज जो समस्याएं देखी जा रही हैं, वे सीधे तौर पर बीआरएस की दस साल की लापरवाही और नियमित रखरखाव करने में विफलता का परिणाम हैं। इसमें कांग्रेस सरकार की गलती नहीं है।
बीआरएस के आरोपों के मद्देनजर उत्तम कुमार रेड्डी ने आज मंत्री वी. श्रीहरि, स्थानीय जनप्रतिनिधियों व वरिष्ठ इंजीनियरों के साथ जूराला परियोजना का निरीक्षण किया। बाद में उन्होंने सिंचाई अधिकारियों के साथ एक विस्तृत समीक्षा बैठक की। बैठक के दौरान इंजीनियरों ने जुराला में चल रहे रखरखाव के बारे में विस्तार से बताया।
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि 62 गेटों में से अधिकांश पूरी तरह से काम करने की स्थिति में हैं और सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। इस अवसर पर उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने जुराला की सुरक्षा को ध्यान में रख कर वैकल्पिक पुल के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किये।
उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि मुख्यमंत्री के इस कदम का उद्देश्य जुराला डैम पर भारी वाहनों के आवागमन को कम करना और बांध की संरचना को किसी भी दीर्घकालिक नुकसान को रोकना है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीआरएस नेता अपनी विफलताओं को स्वीकार करने के बजाय केवल झूठा प्रचार करने और किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार सभी पुरानी परियोजनाओं को ठीक से बनाए रखने के लिए ईमानदार और पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
उत्तम ने आगे कहा कि हम जुराला, मंजीरा, नागार्जुन सागर, एसआरएसपी, कल्वाकुर्ती, कोइलसागर, भीमा, पालमुरु-रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए पिछली सरकार द्वारा नजरअंदाज की गई सभी परियोजनाओं को व्यवस्थित रूप से बहाल कर रहे हैं।
हमारा लक्ष्य पूरे अविभाजित महबूबनगर जिले को फिर से हरा-भरा बनाना है। उन्होंने कहा कि दस वर्षों के बीआरएस शासन के दौरान सिंचाई परियोजनाओं का कोई न्यूनतम संचालन और रखरखाव नहीं किया गया था। इसके कारण केवल जुराला की क्षमता गाद जमा होने के कारण लगभग 20 से 25 प्रतिशत कम हो गई है। उन्होंने बताया कि बीआरएस शासन ने केवल कमीशन के लिए कालेश्वरम जैसी परियोजनाओं पर हजारों करोड़ खर्च किए गये।
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