जानें 15 या 16 अगस्त, आखिर कब मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल बड़ा कन्फ्यूजन हो रहा है। जन्माष्टमी की तारीख 15, 16 या फिर 17 अगस्त आखिर कब है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अलग-अलग कैलेंडर में अलग – अलग तारीखें दी गई हैं। जहाँ दृक पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी 15 अगस्त को है तो वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी 17 अगस्त को है, अन्य पंचांग जन्माष्टमी 16 अगस्त को बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में लोगों में जन्माष्टमी की तारीख को लेकर संशय की स्थिति बनना वाजिब है। आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी की सही तारीख क्या है?
जन्माष्टमी की तारीख कैसे तय करें?
शिव पुराण, विष्णु पुराण, ब्रह्म पुराण और अन्य पुराणों के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि दिन बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को वृषभ राशि के चंद्रमा में हुआ था। अब लोग जन्माष्टमी को लेकर इनमें से योगों का चयन अपने अनुसार करते हैं।
शास्रों में इसके लिए शुद्धा और विद्धा दो भेद बताए गए हैं। शुद्धा उदया तिथि से लेकर उदयपर्यंत तक है, जबकि विद्धा सप्तमी या नवमी से होती है। सिद्धांत रूप में देखा जाए तो अर्धरात्रि में रहने वाली तिथि अधिक मान्य होती है। यदि वह तिथि दो दिन हो या दोनों ही दिन न हो, तो सप्तमी के विद्धा का त्याग करके नवमी की विद्धा ग्रहण करनी चाहिए।
यह जन्माष्टमी व्रत सभी के करने योग्य होता है। वहीं इस बार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरूआत 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रही है और 16 अगस्त को रात 9 बजकर 34 मिनट तक है।
जन्माष्टमी की तारीख
इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त को ही मनाई जाएगी। इस बार जन्माष्टमी के लिए उदयातिथि को उचित माना गया है। 16 अगस्त को सूर्योदय सुबह 05:51 पर होगा, उस समय उदया की भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि है। वहीं इस बार अष्टमी की तिथि में रोहिणी नक्षत्र का मेल नहीं हो रहा है। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 04:38 से है, जो 18 अगस्त को सुबह 3:17 तक रहेगा। 16 अगस्त को वृषभ राशि में चंद्रमा रात्रि 11:43 से है।
ऐसे में 16 अगस्त को अष्टमी की उदयातिथि और वफषभ राशि का चंद्रमा मिल रहा है। जन्माष्टमी के योग को देखा जाए तो इस दिन अष्टमी तिथि और वफषभ राशि के चंद्रमा के दो योग मिल जाएंगे, जबकि 15 अगस्त को सिर्फ अष्टमी और 17 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र ही मिल रहा है। इस बार भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में भी जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। ऐसे में इस साल 16 अगस्त को जन्माष्टमी का मुहूर्त रात 12:04 से 12:47 तक है।
जन्माष्टमी पूजा विधि
प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
घर के पूजा स्थल या मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का झूला सजाएं, फूलों और लाइट से सुंदर श्रृंगार करें।
पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।
ताजे मक्खन, मिश्री और तुलसी दल का भोग लगाएं।
दिन भर भजन -कीर्तन करें और श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करें।
रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का महोत्सव मनाएं, शंख और घंटियों की ध्वनि के साथ आरती करें।
जन्मोत्सव के बाद प्रसाद का वितरण करें और भक्तों को भोग ग्रहण कराएं।
जन्माष्टमी व्रत पारण का समय
जो लोग बाल गोपाल के जन्मोत्सव के तुरंत बाद पारण करते हैं, वे जन्माष्टमी व्रत का पारण 17 अगस्त को रात्रि 12:47 के बाद करेंगे।
जो लोग सूर्योदय के बाद जन्माष्टमी व्रत का पारण करते हैं, वे लोग 17 अगस्त को सुबह 05:51 के बाद पारण कर सपेंगे।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 तिथि व मुहूर्त
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 तारीख 16 अगस्त 2025, शनिवार
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2025
16 अगस्त की देर रात 12:04 से 12:47 तक
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मुहूर्त की अवधि 43 मिनट्स
अगस्त 17 जन्माष्टमी पर चंद्रोदय समय रात 11:32
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 15 अगस्त 2025 को 11:49 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त 16 अगस्त 2025 को रात 09:34 बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ 17 अगस्त 2025 को सुबह 04:38 बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त 18 अगस्त 2025 को सुबह 03:17 बजे
जन्माष्टमी व्रत पारण समय 2025 17 अगस्त को सुबह 05:51के बाद।
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