क्वाड शिखर का निष्कर्ष
डेलावेयर शिखर सम्मेलन के बाद जारी किया गया हाल ही का क्वाड का संयुक्त वक्तव्य, बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के सामने समूह की बढ़ती रणनीतिक एकजुटता को उजागर करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया से मिलकर बना क्वाड एक शिथिल समन्वित संवाद से विकसित होकर, अब सहयोग के लिए एक अधिक मजबूत ढांचे में बदल गया है, जो चीन की बढ़ती मुखरता, चल रहे पोन संघर्ष और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार जैसे महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक सवालों पर अपनी दो टूक राय रखता है।
क्वाड शिखर के संयुक्त वक्तव्य के सबसे प्रमुख विषयों में से एक, हिंद-प्रशांत में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की प्रतिबद्धता रही। इस क्षेत्र को अक्सर महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा के अगले रंगमंच के रूप में देखा जाता है, जिसके जल के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए नियम-आधारित व्यवस्था की ज़रूरत है। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आाढामक व्यवहार और उसकी सैन्य मुद्रा के मद्देनजर, क्वाड ने अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह सुनिश्चित करता है कि रणनीतिक जलमार्ग खुले, सुरक्षित और दबाव से मुक्त रहें। कहना न होगा कि यह चीन के लिए सीधा इशारा है कि उसके कार्यों को निरंतर कूटनीतिक और रणनीतिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।
रूस-पोन युद्ध पर क्वाड का रुख अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के प्रति इसकी व्यापक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बेशक सदस्य देशों का संघर्ष के प्रति प्रत्यक्ष दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकता है, लेकिन बयान में क्षेत्रीय संप्रभुता और शांतिपूर्ण विवाद समाधान के लिए सम्मान पर जोर दिया गया है। यह बेहद अहम है, क्योंकि रूस के साथ क्वाड सदस्य देशों के निजी रिश्ते हैं। ख़ासकर, रूस के साथ अपने ऐतिहासिक रिश्तों को देखते हुए भारत की तटस्थ स्थिति रूसी आाढामकता के ख़िल़ाफ अधिक मुखरता के पश्चिमी दबाव के ख़िल़ाफ संतुलन साधती है। इस नाजुक संतुलन के बावजूद, क्वाड ने बल के माध्यम से सीमाओं को बदलने के एकतरफा प्रयासों की अपनी सामूहिक अस्वीकृति की पुष्टि की और ख़ुद को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के रक्षक के रूप में स्थापित किया।
संयुक्त वक्तव्य का एक और महत्वपूर्ण पहलू, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों का आह्वान है। यूएनएससी में स्थायी सीटों के लिए लंबे समय से इच्छुक भारत और जापान ने लगातार अधिक प्रतिनिधि और समावेशी वैश्विक शासन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। यूएनएससी में सुधार के लिए क्वाड का समर्थन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में आज की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को अधिक प्रतिबिंबित करने की ज़रूरत के प्रति उनके साझा विश्वास को प्रकट करता है। क्वाड का समर्थन इस लंबे समय से रुकी हुई बहस को आगे बढ़ा सकता है, ख़ासकर जब दुनिया में वैश्विक शक्ति के अधिक न्यायसंगत वितरण की माँग उठ रही हो।
सयाने बता रहे हैं कि क्वाड लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण पर भी दोगुना ज़ोर दे रहा है। ख़ासतौर पर सेमीकंडक्टर और डिजिटल प्रौद्योगिकी एक ऐसा क्षेत्र हैं, जहाँ चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव अधिक है। अमेरिका और जापान द्वारा समर्थित भारत इस क्षेत्र में एक अहम खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है। एडवांस्ड माइाढा डिवाइसेस और माइाढान टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियाँ भारत में अनुसंधान और विकास की अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, 5जी/6जी प्रौद्योगिकियों और साइबर सुरक्षा में संयुक्त पहल का उद्देश्य क्वाड सदस्यों की चीन के नेतृत्व वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता को कम करना है – ख़ास तौर पर उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में। उम्मीद की जा सकती है कि यह आर्थिक और तकनीकी सहयोग न केवल घरेलू क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि एक सुरक्षित और कनेक्टेड डिजिटल अर्थव्यवस्था के साझा दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देगा।
अंतत, सैन्य और आर्थिक क्षेत्रों के अलावा, क्वाड ने जलवायु परिवर्तन, आपदा राहत और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर भी जोर दिया। हरित प्रौद्योगिकियों, सतत विकास और डिजिटल लैंगिक अंतर को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना क्वाड की इस इच्छा को रेखांकित करता है कि इसे केवल एक सुरक्षा ब्लॉक के बजाय, वैश्विक चुनौतियों का समग्र रूप से समाधान करने के लिए एक सहयोगी मंच और फोर्स फ़ॉर गुड के रूप में देखा जाए।