इंटरव्यू और ज्ञान (व्यंग्य)
अज्ञान के अंधकार को दूर करने और गलत दिशा में देख रहे ज्ञानचक्षुओं को सही मार्ग दिखाने के उद्देश्य से इस बीच कई ज्ञानियों, विज्ञानियों और इतिहासकारों का आविर्भाव हमारे देश में होना हमारे लिए न केवल गर्व की बात है बल्कि यह हमारी एक महान उपलब्धि भी कही जाएगी। अचानक ज्ञान, विज्ञान और इतिहास पर बोलने के लिए क्यों आतुर होने लगे छोटू?
भैया! ऐसा है कि इस बीच ज्ञान की गंगा हर तरफ से और हर व्यक्ति के मस्तिष्क से इस तरह बह रही है जैसे पूरे भारत में मूसलाधार बारिश हो रही है जिससे बाढ़ की स्थितियां उत्पन्न हुई हैं। ठीक इसी तरह इन ज्ञानियों की वजह से ज्ञान कोष में असमंजस की दुविधामय स्थिति उत्पन्न हो गई है।
तुम भूमिका इतनी ज्यादा बांध देते हो की असली विषय, असली मुद्दा धरा का धरा रह जाता है। अब बताओ भी कि हुआ क्या है और किस संदर्भ में यह सारा व्याख्यान चल रहा है। भैया! कल मेरा भांजा राकेश एक इंटरव्यू देने गया, जिसमें प्रश्न और उत्तर सुनकर मैं तो अचंभित रह गया। लगता है हमने बहुत कम सीखा है या हमारी जानकारी बहुत कम है इसके आगे यह इंटरव्यू लेने वाले परमज्ञानी और महाज्ञानी हैं।
हुआ क्या बताएगा भी या अपनी भाभी की तरह सिर्फ दिमाग खाते ही रहेगा छोटू? भैया! इंटरव्यू कमरे के बाहर कई उम्मीदवार उदास और निराश से बैठे हुए थे जब यह पहुंचा। उसने पूछा कि क्या कारण है तो लोगों ने बताया सही-सही जवाब देने पर भी हंसके बोल रहे हैं तुम्हे कुछ नहीं आता। जाओ सभी का इंटरव्यू हो जाए फिर अभी रिजल्ट बताते हैं। मेरा भांजा भी घबरा गया। उसने प्रश्न और उनके उत्तर भी जाना जो कि बिल्कुल सही थे।
गलत जवाबों पर भी शिक्षक पद की नौकरी
जब इसका नम्बर आया तो अंदर गया। इससे प्रश्न पूछे और इसने जवाब दिए। आश्चर्य की बात है यह सेलेक्ट हो गया। अगले हफ्ते इसे जॉब में ज्वाइन करना है। क्या प्रश्न थे और क्या उत्तर दिया वह। बताएगा भी कि तुझे भी नहीं मालूम छोटू! आप भी न सांस लेने नहीं दोगे। प्रश्न थे भारत कब आजाद हुआ? इसका उत्तर था 16 मई 2014। इससे पूछा गया राष्ट्रपिता कौन हैं? इसका जवाब था हमारे प्रधान सेवक।
प्रश्न था भारत में रंगीन फोटो ईमेल में कबसे भेजे जाने लगे? उत्तर दिया गया 1983 में हमारे प्रधान ने पहली बार ऐसा किया। मीरा बाई, झांसी रानी कौन थीं? हिमाचल प्रदेश मंडी की सांसद। स्वयंभू बारहवां अवतार कौन हैं। इसका भी उसने उत्तर दिया जो स्वयं शिव हैं, सत्य हैं और सुंदर हैं। भारत का भविष्य किनके हाथों में है? जिनके हाथों में ग्यारह सालों से है, उन्हीं के हाथों में है।
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बोर्ड गद्गद हो उठा और तुम सेलेक्ट किए जाते हो कहा। बस। हमारा ज्ञान, विज्ञान, इतिहास का बुरी तरह पोस्टमार्टम हो गया है। इसमें एक भी सही उत्तर नहीं है और यह ग़लत है। भैया उसको नौकरी तो मिल ही गई। इससे बड़ी सही बात क्या हो सकती है? बोलिए! किस पद के लिए इंटरव्यू था? शिक्षक का पद। वाह क्या बात है।
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