‘कुछ राब्ता है तुमसे’ पर ऑनलाइन परिचर्चा में गूँजे साहित्यिक स्वर

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हैदराबाद, फटकन, आखर और हिन्दी मैत्री मंच द्वारा कुछ राब्ता है तुमसे पुस्तक पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के हिन्दी परामर्शी प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने युवा लेखक प्रवीण प्रणव की पुस्तक कुछ राब्ता है तुमसे पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि किसी साहित्यिक कृति में जितना महत्व कथ्य और कथन का होता है, उतना ही सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और ऐतिहासिक प्रभावों तथा सांस्कृतिक संदर्भों का भी होता है।

डॉ. शर्मा ने विवेच्य पुस्तक की गहन पड़ताल करते हुए इसमें निहित सीमापार, लोकतत्व, स्त्रापक्ष, पराधीनता, विभाजन, मोहभंग और लोकप्रियता के पाठों-उपपाठों पर चर्चा की। भारतीय साहित्य की विदुषी, अनुवादक और समीक्षक प्रो. प्रतिभा मुदलियार ने पुस्तक की बहुआयामी उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसमें संग्रहित निबंध भली-भाँति यह दर्शाते हैं कि रचनाकारों की निजी दुनिया और वास्तविक दुनिया के रिश्ते कितने संश्लिष्ट हुआ करते हैं।

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कथाकार-कवयित्री रेणु यादव ने लेखक की रचना प्रक्रिया और भावी योजनाओं के बारे में जिज्ञासाएँ प्रकट कीं, जिनका समाधान करते हुए प्रवीण प्रणव ने जीवनीपरक आलोचना के लिए खोजी प्रवृत्ति और गहन अध्ययन के महत्व पर प्रकाश डाला। परिचर्चा का संचालन शोधार्थी संगीता ने किया।

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