चालीस की उम्र से कम वालों के लिए लो ब्लड प्रेशर ज्यादा खतरनाक!

ऊपर यानी सिस्टोलिक और नीच यानी डायस्टोलिक दोनों ब्लड प्रेशर अपने-अपने तौर पर खतरनाक होते हैं। लेकिन उनके खतरे की प्रकृति उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करती है। अगर आपकी उम्र 40 से कम के हैं तो नीचे का ब्लड प्रेशर यानी डायस्टोलिक का हाई होना हृदय रोग की शुरुआत का जबर्दस्त लक्षण है।

अगर आपकी उम्र 40 और 60 के बीच की है, तो दोनो ही ब्लड प्रेशर खतरनाक है और ऊपर तथा नीचे दोनों ही रक्त दबावों पर ध्यान रखना जरूरी है। लेकिन अगर आपकी उम्र 60 साल से ऊपर है, तो ऊपरी यानी सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि यह धमनियों की कठोरता और दिल के दौरे का बड़ा कारण बनता है।

दरअसल, नीचे का ब्लड प्रेशर यानी रक्त दबाव, दिल की धड़कनों के बीच- जब दिल रिलैक्स कर रहा होता है- धमनियों में होता है। जब यह 90 एमएमएचजी से अधिक हो जाता है तो यह डायस्टोलिक प्रेशर माना जाता है। डायस्टोलिक प्रेशर के कुछ खास कारण होते हैं।

मसलन-

इससे पता चलता है कि आपकी धमनियां कठोर हो गई हैं।
एक संकेत यह है कि आप थायरॉयड की समस्या से जूझ रहे हैं या इसकी चपेट में आने वाले हैं। विशेषकर हाइपोथायरॉइडिज्म डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है।
आप किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं या भविष्य में जूझ सकते हैं।
आप अपने शरीर के अनुपात से ज्यादा मोटे हैं।
आप लगातार तनाव में हैं और आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है।
आप नमक का अत्याधिक सेवन कर रहे हों। सोडियम ब्लड वॉल्यूम बढ़ाकर डायस्टोलिक प्रेशर को प्रभावित करता है।
आपकी खानपान की आदतें सही नहीं हैं और व्यायाम से आप दिल चुराते हैं।

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अपने डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कैसे पहचानें

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ऊपर का ब्लड प्रेशर तब बढ़ता है, जब दिल सिकुड़ता है और नीचे का ब्लड प्रेशर तब बढ़ता है, जब दिल विश्राम करता है। अगर नीचे का ब्लड प्रेशर 90 या उससे ऊपर लगातार बना रहता है, तो यह मांसपेशियों और धमनियों पर लंबे समय तक दबाव बनाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। किडनी डैमेज हो सकती है।

लक्षण

  • लगातार थकान और चक्कर आना। सिर में अकसर भारीपन बना रहना। सीने में रह-रह करके दबाव महसूस होना और सांस लेने में तकलीफ होना। दिल की धड़कन तेज हो जाती है।

क्या करें?

डॉक्टर के पास जाने से पहले ही अपने खाने में नमक की मात्रा कम कर लें। हर दिन कम से कम आधा घंटे नियमित व्यायाम करें। तनाव से मुक्त रहें। इसके लिए योग और ध्यान करें। कैफीन और एल्कोहल का सेवन करना छोड़ दें या सीमित कर दें। ब्लड प्रेशर की दवा नियमित खाएं।

डायस्टोलिक नियंत्रण के घरेलू उपाय

रोज सुबह खाली पेट एक या दो कच्चे लहसुन की कलियां खाएं और ऊपर से पानी पी लें। यह रक्तवाहिकाओं को आराम देता है और बीपी को घटाता है।
हर दिन सुबह रात में भीगे एक चम्मच मेथी के दाने खूब चबा-चबाकर खाने से और मेथी का पानी पीने से फायदा होता है।
हर रोज सुबह एक चम्मच आंवले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर लेने से भी फायदा होता है।
प्रतिदिन चार से पांच तुलसी की पत्तियां और दो से तीन नीम की पत्तियां सुबह-सुबह चबाकर खाएँ। डायस्टोलिक बीपी के नियंत्रण के साथ-साथ इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा। हर रोज कम से कम 30 मिनट की सुबह सुबह वाक करना न भूलें, विशेषकर तब जब सुबह की धूप आ चुकी हो।

क्या न खाएं और क्या जरूर करें

अधिक नमक, अचार, पापड़ और चिप्स जैसी चीजें न खाएं।
तले, भुने खाद्य पदार्थों से बचें।
ज़्यादा चाय और ज़्यादा कॉफी बीपी बढ़ाता है।
अगर डायस्टोलिक बीपी के शिकार हों तो रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट से तौबा कर लें। यह आपके ब्लड प्रेशर को घातक स्तर तक बढ़ा सकता है।
..और हां, तनाव, गुस्सा भूलकर भी न करें और देर रात तक जगने से बचें।
इसी के साथ डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर होने पर बीपी मॉनिटर मशीन घर पर रखें और दिन में कम से कम दो बार अपना ब्लड प्रेशर नापें तथा एक हफ्ते में इसकी समीक्षा करें।
अगर दवाएं शुरु हैं तो डॉक्टर ने जिस दवा को खाने का सुझाव दिया हो, उसे बिल्कुल समय पर खाएं, बिना डॉक्टर की राय के दवा खाना न छोड़े।
हर दिन कम से कम सात घंटे की नींद लेना भी बहुत जरूरी है। साथ ही शवासन, शशांकासन और भ्रामरी प्राणायाम नियमित रूप से करें।

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