अजमेर शरीफ दरगाह विवाद में महाराणा प्रताप सेना भी कूदी

कोर्ट में दस्तावेजों के साथ करेगी मंदिर का दावा

जयपुर, अजमेर शरीफ दरगाह विवाद में हिंदू सेना के बाद अब महाराणा प्रताप सेना भी कूद गई है। महराणा प्रताप सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने कहा है कि वह कुछ दस्तावेज लेकर कोर्ट के समक्ष पेश होंगे। साथ ही दरगाह में मंदिर होने का वाद भी दायर करेंगे। इस संबंध में वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह की मदद लेंगे। साथ ही उन्होंने मांग की कि सरकार दरगाह में मंदिर होने की जांच कराए।

परमार ने कहा कि 25 मई 2022 को उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि अजमेर शरीफ दरगाह नहीं बल्कि हमारा पवित्र मंदिर है। इसके बाद उन्होंने जनजागरण अभियान चलाया, जिसमें तीन लाख लोग जुड़े थे। इनमें से 2 लाख 67 हजार लोगों ने दावा किया कि यह दरगाह नहीं, हमारा पवित्र मंदिर है। उन्होंने इस संबंध में वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी पत्र लिखा है। परमार ने कहा कि 31 जनवरी 2024 को उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा।

परमार ने बयान जारी कर कहा कि सोमवार को वह सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह और अपने 250 सदस्यों के साथ अजमेर पहुंचेंगे। वहां वह कुछ दस्तावेज कोर्ट में पेश करेंगे। साथ ही वह दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा करने वाली एक वाद भी दायर करेंगे। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह ने कहा कि यह खुशी की बात है कि महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार की दरगाहों को लेकर जो लड़ाई चल रही है, उसमें अब अजमेर शरीफ दरगाह भी शामिल हो गया है। कहा कि इस मामले में पहले से दायर याचिका पर कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करना सभी सनातनियों के लिए खुशी की बात है।

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