मूल्य, उद्देश्य और प्रभाव के केंद्र में हो प्रबंधन नीतियाँ : एल.वी. नवनीत
हैदराबाद, दि हिन्दू समाचार पत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल वी नवनीत ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में व्यापार अथवा मानव संसाधन के प्रबंधन संकल्पना और उसके लिए अपनायी जाने वाली नीतियों में मूल्य, उद्देश्य और प्रभाव केंद्र में होना चाहिए। मीडिया समूहों के प्रबंधन में लगभग तीन दशक का अनुभव रखने वाले एल वी नवनीत आज यहाँ दि एडवर्टाइजिंग क्लब हैदराबाद और प्रो. एस. बशीरुद्दीन ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अट्ठारहवें प्रो. बशीरुद्दीन स्मारक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। मैनेजिंग चेंज विषय पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने अपने कार्य जीवन के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये। दि हिन्दू की मार्केटिंग टीम, रेडियो, टेलीविजन तथा विदेश एक एजेंसी के साथ काम करके फिर हिन्दू समाचार पत्र के सीईओ पद तक पहुंचने के बीच सफलता और असफलता के कई उदाहरणों के साथ उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि प्रबंधन नीतियाँ हालाँकि हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं, लेकिन मूल्य, उद्देश्य और प्रभाव हमेशा उनके केंद्र में हों तो ही उनकी प्रभावोत्पादकता बेहतर होती है। उन्होंने कहा कि अपने निर्णयों से होने वाली असफलताओं के बारे में समय पर जान लेना और उसके अनुसार, अपने को परिवर्तित कर लेना बहुत ज़रूरी है।
नवनीत ने कहा कि चाहे वह कोई कंपनी का संचालन हो या व्यापार का, नागरिकों की भलाई उसकी संकल्पना में ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग समय में विशेषज्ञता और कौशल का अलग महत्व रहा है। कभी जहाँ एक विषय में विशेषज्ञ होना काफी था, आज प्रबंध क्षेत्र में विषय विशेषज्ञता के साथ-साथ कई क्षेत्रों का सामान्य ज्ञान अनिवार्य है। उन्होंने विदेश में कार्य करने के दौरान के अपने अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी क्षेत्र में काम करने के दौरान वहाँ की संस्कृति, इतिहास, भूगोल और सामान्य समस्याओं के बारे में जानकारी होना अनिवार्य है।
कौशल और संपर्क जैसे गुणों को जोड़ने के लिए डिजिटल मीडिया में अपने अनुभवों का उल्लेख भी उन्होंने किया। विशेषकर कैंटीन में भोजन को व्यर्थ जाने से रोकने के लिए समय समय पर विभिन्न प्रयोगात्मक रणनीयितों और उनकी सफलताओं के बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। इससे पूर्व प्रो. बशीरुद्दीन का परिचय देते हुए दि हिन्दू के वरिष्ठ पत्रकार सोमशेखर ने कहा कि वे एक प्रेरक शिक्षक थे। उन्होंने न केवल पत्रकारिता के शिक्षक, बल्कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति, फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे के प्राचार्य और विदेश में भारत के राजदूत सहित विभिन्न भूमिकाओं में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। हैदराबाद में पीआरएसआई और एडवर्टाइजिंग क्लब की स्थापना में भी उनकी महती भूमिका रही। कार्यक्रम में एडवर्टाइजिंग क्लब के वरिष्ठ सदस्य रंगारेड्डी के अलावा बड़ी संख्या में पत्रकार, विज्ञापन विशेषज्ञ एवं प्रचार प्रसार से जुड़ी हस्तियाँ मौजूद थीं।