जलबोर्ड के प्रबंध-निदेशक ने किया सुंकिशाला परियोजना कार्यों का निरीक्षण
हैदराबाद, हैदराबाद महानगरीय पेयजलापूर्ति एवं मलजल निकास बोर्ड के प्रबंध-निदेशक अशोक रेड्डी ने नागार्जुन सागर में बन रही सुंकिशाला परियोजना के कार्यों का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की। आज यहाँ जलबोर्ड द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अशोक रेड्डी ने जलबोर्ड के अन्य अधिकारियों के साथ नागार्जुन सागर में बन रही पाइप लाइन के विस्तार कार्यों तथा सुंकिशाला इंटेकवेल के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया।
उन्होंने परियोजना पाइपलाइन कार्यों का निरीक्षण कर एजेंसी के अधिकारियों को पाइप विस्तार कार्य पर विशेष ध्यान देने तथा गुणवत्ता की उपेक्षा नहीं करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सिविल, सुरंग, विद्युत और पाइपलाइन का कार्य चल रहा है। सुरंग और विद्युत कार्य अंतिम चरण में हैं, जबकि सिविल कार्य अभी भी जारी हैं। उन्होंने प्राधिकारियों को रिटेनिंग दीवार के मलबे को हटाने का काम शीघ्र पूरा करने के लिए कदम उठाने की सलाह दी। अशोक रेड्डी ने उस क्षेत्र का निरीक्षण किया, जहाँ सुंकिशाला सुरंग गेट की दीवार एक तरफ झुक गई।

उन्होंने अधिकारियों से मलबा हटाने की प्रगति के बारे में पूछा। अधिकारियों को सीमेंट मलबे को हटाने में तेजी लाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने निर्माण कंपनी के प्रतिनिधियों को पुनर्निर्माण के लिए डिजाइन तुरंत प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने अधिकारियों को साइड वॉल पुनर्निर्माण कार्य के लिए समय सीमा निर्धारित करने और प्रगति की समीक्षा करते हुए कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।
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बरसात से पहले दो शिफ्टों में काम के निर्देश
निर्माण कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि पंप रूम के ऊपर की सतह पर मलबा हटाने के लिए विशेष रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। सीमेंट के मलबे को विशेष रूप से स्थापित क्रेनों के माध्यम से शीघ्रता से हटाया जाएगा। इसके बाद पंप रूम की ओर मध्य सुरंग के कार्य का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वह बरसात के मौसम से पूर्व बांध निर्माण और सुरंग बंद करने का काम पूरा करने के लिए दो शिफ्टों में काम करें।
उन्होंने प्रत्येक प्रवेश सुरंग में जलाशय की ओर गेट लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे रिटेनिंग दीवार पर दबाव कम हो जाएगा। साथ ही कहा कि गेट के साथ क्रीन भी लगाई जानी चाहिए, क्योंकि बरसात के मौसम में बाढ़ आने पर पेड़ों व अन्य वस्तुओं के टकराने की आशंका रहती है, जिसे रोकने के लिए इन क्रीन का उपयोग किया जा सकता है।
एमडी ने कहा कि सामान्यत नागार्जुन सागर जलाशय में 131 टीएमसी डेड स्टोरेज की क्षमता तथा 510 फीट पानी उपयोग के लिए उपलब्ध रहता है। सरकार ने गर्मियों में भी पेयजल की कमी को रोकने के लिए सुंकिशाला इंटेक परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया है। यदि नागार्जुन सागर का पानी समाप्त हो भी जाए, तो भी यह परियोजना शहर को पीने का पानी उपलब्ध करा सकती है। अवसर पर परियोजना निदेशक टी.वी. श्रीधर, मुख्य महाप्रबंधक महेश, महाप्रबंधक, परियोजना अधिकारी और निर्माण कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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