मणिपुर के मुख्यमंत्री ने जातीय संघर्ष के लिए माफी माँगी

इंफाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य में हुए जातीय संघर्ष के लिए मंगलवार को माफी माँगी और सभी समुदायों से पिछली गलतियों को भूलने तथा शांतिपूर्ण व समृद्ध राज्य में एक साथ रहने की अपील की।

प्रदेश में हुए जातीय संघर्ष में 250 से अधिक लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सिंह ने यहाँ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले तीन से चार महीनों में राज्य में अपेक्षाकृत शांति रही है, जिससे उन्हें उम्मीद है कि नए साल में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में जो कुछ हुआ, उसके लिए मैं खेद व्यक्त करना चाहता हूँ। कई लोगों ने अपने प्रियजन को खो दिया और कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। मुझे खेद है और मैं माफी माँगना चाहता हूँ, लेकिन पिछले तीन से चार महीनों में अपेक्षाकृत शांति देखने के बाद मुझे उम्मीद है कि आने वाले वर्ष में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ, सो हुआ। मैं सभी समुदायों से अपील करना चाहता हूँ कि वे पिछली गलतियों को माफ करें और भूल जाएँ तथा शांतिपूर्ण व समृद्ध मणिपुर में एक साथ रहकर नए सिरे से जीवन शुरू करें।

सिंह ने कहा कि मई 2023 में जातीय संघर्ष शुरू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में राज्य में गोलीबारी की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मई से अक्तूबर- 2023 तक गोलीबारी की 408 घटनाएँ, नवंबर-2023 से अप्रैल-2024 तक 345 और मई-2024 से अब तक गोलीबारी की 112 घटनाएँ हुईं। सिंह ने कहा कि लूटे गए हथियारों में से 3,112 बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 2,511 विस्फोटक जब्त किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक 625 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 12,047 प्राथमिकियाँ दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि इंफाल-माओ-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा बलों की 17 कंपनियाँ और इंफाल-जिरीबाम-सिलचर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 18 अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने सशस्त्र आतंकवादियों से निपटने के लिए 40 बुलेटप्रूफ वाहन तथा भारी हथियार खरीदे हैं। उन्होंने दावा किया, राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गन के साथ ही कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। सरकार ने शांति वार्ता की शुरुआत के लिए विद्रोही समूहों और केंद्र के बीच सेतु का काम किया है।

पिछले वर्ष मई से इंफाल घाटी स्थित मेइती और आस-पास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के अंतहीन प्रयासों के माध्यम से कुल 2,058 विस्थापित परिवार (7,549 लोग) अपने मूल निवास स्थान पर वापस लौटने में सफल हुए हैं। सिंह ने कहा कि सरकार ने राहत शिविरों में शरण लिए हुए प्रति व्यक्ति को 1,000 रुपये वितरित करने के लिए 30 करोड़ रुपये जारी किए हैं और अब तक पाँच किस्तें वितरित की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि राहत शिविरों के संचालन के लिए अब तक कुल 280 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए 32 करोड़ रुपये का मुआवजा पैकेज भी दिया है।

सभी राहत शिविरों में साप्ताहिक चिकित्सा जाँच की जाती है और अब तक 18,911 दौरे किए जा चुके हैं, जिसमें लोगों को आवश्यक दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। राहत शिविरों में रहने वाले विद्यार्थियों को सरकारी विद्यालयों और कॉलेजों में मुफ्त प्रवेश दिया गया है, जबकि निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए सरकार ने खर्च का 50 प्रतिशत प्रदान किया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार और आजीविका कार्यक्रमों के तहत सरकार ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों को प्राथमिकता दी है, क्योंकि उन्हें उपयुक्त काम नहीं मिल पाया है। सिंह ने कहा कि जनवरी-2025 से सरकार सभी ज़िला अस्पतालों में कैंसर की 23 निर्धारित दवाएँ मुफ्त उपलब्ध कराएगी।(भाषा)

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