माओवादी स्वर्णक्का ने किया आत्मसमर्पण

हैदराबाद, ओड़िशा के मलकानगिरी जिले के कालीमेला मंडल के पोट्टेरू गांव की पचास वर्षीय अलुवा स्वर्णा उर्फ स्वर्णक्का और प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) पार्टी की नेशनल पार्क एरिया कमेटी की सदस्य ने बुधवार को मुलुगु जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. पी. शबरीश के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।उन्होंने कहा कि स्वर्णा ने माओवादी विचारधारा की निरर्थकता को समझते हुए अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने के इरादे से पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। स्वर्णा कालीमेला एरिया कमेटी कमांडर रामन्ना के प्रोत्साहन पर वर्ष 2000 में प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी में शामिल हुई थी।

स्वर्णा ने शुरू में उसने चट्टीराजा पपय्या उर्फ सोमन्ना के नेतृत्व वाली सुरक्षा टीम के सदस्य के रूप में काम किया, जो उस समय उत्तरी तेलंगाना विशेष क्षेत्रीय समिति (एनटीएसजेडसी) का सदस्य था। बाद में वह गिनुगु नरसिम्हा रेड्डी उर्फ जम्पन्ना की सुरक्षा टीम में शामिल हो गई और पांच साल तक काम किया। इसी दौरान 16 जनवरी, 2005 को कर्णगंडी उर्फ रामपुर वन क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में वह शामिल हुई। इस घटना में दो माओवादी नल्ला वसंत उर्फ जगन और थल्ला सुदर्शन उर्फ गंगन्ना मारे गए, जबकि स्वर्णक्का और कुछ अन्य सदस्य भाग निकले। इसी तरह, उसी वर्ष 5 नवंबर को वह लिंगलगुट्टा उर्फ पलाधारा गुट्टा में एक मुठभेड़ में शामिल थी, जहाँ बट्टू एलीशा उर्फ ममथा की मृत्यु हो गई, और स्वर्णक्का फिर से अन्य सदस्यों के साथ भागने में सफल रही।

2006 में स्वर्णा ने मुलुगु जिले के वजीदु मंडल के कोंगाला गांव के निवासी कुरासा सयन्ना उर्फ जगत से शादी की। उन्हें 2008 में एरिया कमेटी सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया था और उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय समिति के सदस्यों यापा नारायण उर्फ हरिभूषण और रावुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना के लिए सुरक्षा कैडर के रूप में काम किया था।

2015 में स्वर्णा को पश्चिम बस्तर में स्थानांतरित कर दिया गया और वह नेशनल पार्क एरिया कमेटी में एरिया कमेटी सदस्य के रूप में शामिल हुईं। बाद में दो साल तक सैंड्रा एलओएस कमांडर के रूप में कार्य किया। 2017 में उसके पति कुरासा सयाना एक मुठभेड़ में मारे गए। उनकी मृत्यु के बाद स्वर्णक्का मानसिक रूप से परेशान हो गईं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। बाद में उन्होंने दो साल तक नेशनल पार्क एरिया कमेटी के तहत जनताना सरकार के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वर्तमान में स्वर्णक्का को एहसास हुआ कि माओवादी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है और इसकी विचारधावें निरर्थक हैं। उन्होंने अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए मुलुगु जिला पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। इस अवसर पर अन्य भूमिगत माओवादी नेताओं और सदस्यों से पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की अपील की गई। आश्वासन दिया गया कि सरकार आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास और सहायता प्रदान करेगी।

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