मार्गशीर्ष पूर्णिमा

इस दिन चंद्रदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन चंद्रदेव और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में दुःख-दरिद्रता नहीं आती है। जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। हालांकि इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर भद्रा है। सनातन धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है।

मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपन्न होता है। वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन चंद्रदेव और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में दुःख-दरिद्रता नहीं आती है। जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। हालांकि इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि पर भद्रा है।

पूर्णिमा तिथि

विक्रम पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर, गुरुवार की सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरु हो रही है, जो 5 दिसंबर, शुक्रवार की सुबह 4 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। 4 दिसंबर, गुरुवार को पूर्णिमा का व्रत और स्नान एवं दान किया जाएगा।

भद्रा मुहूर्त

ज्योतिष गणना के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा की सुबह 8 बजकर 36 मिनट से भद्रा काल शुरू हो रहा है, जो शाम 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इस दिन भद्रा का वास स्वर्ग लोक में रहेगा। अतः धरती लोक पर भद्रा का साया नहीं होगा।

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स्नान मुहूर्त

4 दिसंबर, गुरुवार की सुबह 4 बजकर 19 मिनट से सुबह 4 बजकर 58 मिनट तक।

शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 बजे तक रहेगा।

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निशीथ काल पूजा

रात 11 बजकर 45 मिनट से रात 12 बजकर 39 मिनट तक। इस शुभ घड़ी में भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

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