गलतियाँ माफ कर बड़प्पन दिखाएँ : राष्ट्र संत ललितप्रभजी

हैदराबाद, हम केवल उम्र से नहीं, वरन हृदय से भी बड़े बनें तथा दूसरों औरों की गलतियाँ माफ करने का बड़प्पन दिखाएँ। अगर हम किसी की एक गलती माफ करेंगे तो भगवान हमारी सौ गलतियों को माफ कर देगा। क्षमा मांगना और क्षमा करना ये दुनिया के दो सबसे बड़े धर्म हैं। गुस्सा और अहंकार जीवन को नरक बनाते हैं जबकि प्रेम और क्षमा जीवन को स्वर्ग बना देते हैं।

उक्त उद्गार महाराष्ट्र के जिंतूर स्थित कृषि उपज बाजार समिति में लोक कल्याणकारी प्रवचन समिति के नेतृत्व में आयोजित तीन दिवसीय विराट सत्संग प्रवचन माला के शुभारंभ के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्य राष्ट्र संत श्री ललितप्रभजी महाराज ने दिये। पूज्य संत ने कहा कि जो गलती होने पर क्षमा मांग लेता है और दूसरों से गलती हो जाने पर क्षमा कर देता है, वही सच्चा धार्मिक कहलाता है।

महाराज ने कहा कि गुस्सा और अहंकार जीवन को नरक बनाते हैं जबकि प्रेम और क्षमा जीवन को स्वर्ग बना देते हैं। संत प्रवर ने कहा कि गुस्सा करना दिया-सलाई जलाने की तरह है। दिया सलाई से और कोई जले न जले, पर वह खुद तो जल ही जाती है। गुस्सा औरों द्वारा की गई गलती से खुद को सजा देना है। सावधान, आपका पल भर का गुस्सा आपके पूरे भविष्य को चौपट कर सकता है।

दो मिनट का गुस्सा रिश्तों की उम्र घटा देता है

2 मिनट का गुस्सा हमारे 20 साल के संबंधों पर पानी फेर देता है, रिश्तों को मिठास से खटास में बदल देता है और जीवन की सारी खुशियों में आग लगा देता है। उन्होंने कहा कि छोटी-सी तो जिंदगी है जब प्यार करने के लिए भी पूरा वक्त नहीं मिलता है तो हम गुस्सा करके क्यों इसे और छोटा करें। संत प्रवर ने क्रोध छोड़ने के शर्तिया तरीके बताते हुए कहा कि गुस्से को सहजता से लें। कोई हम पर गुस्सा करे तो हम मुस्कान से उसे टाल दें या फिर मुस्कुराकर जवाब दें। हर माहौल में मिठास घोलना ही जिंदगी की जीत है। जब भी गुस्सा आए, उसे तीस मिनट बाद करें। अपने आप गुस्सा ठण्डा हो जाएगा। सदा प्रेम से भरे रहें।

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हम जितना बाहर के लोगों से प्रेम से पेश आते हैं उतना ही घरवालों से भी प्रेम से पेश आएँ तो कभी गुस्से का माहौल बन ही नहीं पाएगा। अवसर पर शांतिप्रिय सागरजी महाराज ने कहा कि दुनिया में सुनाने वाले बहुत हैं, पर सुनने वाले कम हैं। सुनने वालों में भी समझने वाले और कम हैं, समझने के बाद सुधरने वाले तो सौ में एक हैं। आप सुधरने वालों में बनिए, न कि सुधारने वालों में। खुद भी संस्कारित बनिए और बच्चों में भी अच्छे संस्कार दीजिए। अगर आप भवन बनाना चाहते हैं तो उत्तम क्वालिटी की सीमेंट और स्टील का उपयोग कीजिए।

कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं और महिलाओं ने उत्साह से दिया योगदान

अगर आप सुन्दर शहर बनाना चाहते हैं तो उसे हरा-भरा बनाइए, पर एक सुन्दर समाज का निर्माण करना चाहते हैं तो उत्तम संस्कारों का दामन थामिए। इससे पूर्व राष्ट्र संतों का विराट शोभायात्रा के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने स्वागत और अभिनंदन किया। कार्यक्रम में स्कूल की छात्र-छात्राओं और महिलाओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम में स्वागत गीत सीमा आछा और महिमा आछा ने प्रस्तुत किया। मंच संचालन सरोज गट्टानी ने किया। बृज गोपाल तोष्नीवाल ने आभार व्यक्त किया। अवसर पर परभणी नांदेड़ बोरी जालना और आसपास के अनेक शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। रविवार को कृषि उपज मंडी मैदान में सुबह 9:15 से 11:15 बजे तक घर को कैसे स्वर्ग बनाएं परिवार में कैसे लाएं संस्कार विषय पर विशेष सत्संग और प्रवचन होगा।

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