तिथि मुहूर्त
इस वर्ष 4 दिसंबर, गुरुवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा का चंद्रोदय होगा। इसलिए अन्नपूर्णा जयंती इसी दिन मनाई जाएगी।
भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त वेदी तैयार करें। अक्षत, पुष्प और भोग सामग्री चढ़ाएं। पूजा के दौरान माँ अन्नपूर्णा से घर में अन्न-समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें। अंत में माता अन्नपूर्णा की आरती करें। श्रद्धानुसार गरीबों को भोजन और गर्म कपड़ों का दान करें। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस पवित्र दिन माँ अन्नपूर्णा और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
भक्त देवी की आराधना करके समृद्धि, अन्न-वृद्धि और कृपा की कामना करते हैं। घरों में विशेष भोजन बनाकर देवी को भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन गृहिणी व्रत का संकल्प लेकर विधिवत पूजा-अर्चना करती है। मान्यता है कि अन्नपूर्णा जयंती पर माँ की कृपा से घर में कभी धन, अन्न और सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती है।
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पूजा विधि
सुबह पूजाघर को साफ करके गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करें। चूल्हे को अच्छी तरह साफ करके उस पर हल्दी, कुमकुम, चावल, धूप और फूल अर्पित करें। पूजा के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त वेदी तैयार करें। अक्षत, पुष्प और भोग सामग्री चढ़ाएं। पूजा के दौरान माँ अन्नपूर्णा से घर में अन्न-समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें। अंत में माता अन्नपूर्णा की आरती करें। श्रद्धानुसार गरीबों को भोजन और गर्म कपड़ों का दान करें।
