पाकिस्तानी समाज का नाइक-वादी मॉडल!
पाकिस्तान में सरकार चाहे किसी की भी हो, उसे हर उस चीज़ से प्यार होता ही है जो भारत को चिढ़ा सके। शायद इसी तरह की किसी प्रेरणा के वशीभूत उसने भारत से भागकर मलेशिया गए हुए वांछित आरोपी ज़ाकिर नाइक को अपने यहाँ राजकीय यात्रा पर बुला लिया। पर बिच्छू तो बिच्छू ठहरा न! उसे हाथ पर बिठाओगे तो डंक ही मारेगा। उसे कुछ और आता ही कहाँ है? ज़ाकिर नाइक को भी एक ही काम आता है, और वह है- इस्लाम का नाम लेकर कट्टरवाद का डंक मारना। उसने पाकिस्तान में भी अपने हर उपदेश में वही ज़हर उगला, जो उसके दिलोदिमाग़ में भरा है। परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान के लोग उससे तौबा करते हुए यह गाना गाते डोलने लगे कि नाइक नहीं खलनायक है तू/ जुल्मी बड़ा दुखदायक है तू!
आप सोच रहे होंगे, आखिर नाइक ने वहाँ ऐसा क्या कर/कह दिया? तो जान लीजिए कि उसने पाकिस्तान की सरज़मीन पर समूची आधी आबादी का अपमान करके तमाम महिलाओं का गुस्सा अपने सिर मोल ले लिया। कहना न होगा कि इसका पाकिस्तान के हुक्मरानों की लोकप्रियता पर विपरीत असर ज़रूर पड़ेगा।
आइए, तनिक इस विडंबना की कल्पना करके देखें कि इस्लामाबाद की सड़कों पर आत्मविश्वास के साथ चलती किसी पढ़ी-लिखी महिला पर पूरा समाज सिर्फ इसलिए पत्थर बरसाने लगे कि वह अविवाहित है, अकेली है, बे-परदा है और किसी पुरुष संरक्षक के बिना बाहर निकल आई है! अगर आप नाइक का उपदेश सुनेंगे तो ऐसा ही होगा, क्योंकि उसके तमाम भाषणों का सार यही है कि अकेली औरत वेश्या होती है! कितनी भाग्यशाली है पाकिस्तान की सरकार कि उसे तमाम स्त्रा-समस्याओं का इलाज करने के लिए ज़ाकिर नाइक जैसा प्रतिभाशाली डॉक्टर मिल गया है, जिसने अकेली औरत को पाकिस्तान के सबसे बड़े सामाजिक ख़तरे के रूप में पहचान लिया है! तर्क, शालीनता और मानवीय गरिमा के सम्मान से परहेज करने वाली पाकिस्तानी सरकार ने शायद इसी के वास्ते उसे मलेशिया से पलक-पाँवड़े बिछा कर बुलाया होगा!
इसमें अचरज कैसा, अगर पाकिस्तान के उपजाऊ मैदानों की अपनी सबसे हालिया यात्रा में खलनायक की भूमिका निभाते हुए नाइक ने पाकिस्तान की सारी समस्याओं का एक व्यापक समाधान पेश किया है। एक ऐसा समाधान, जिसमें बलात्कार, हत्या या अविवाहित महिलाओं के साथ अभद्रता को महिमामंडित करना शामिल है; नैतिकता, न्याय और शालीनता को फिर से परिभाषित करना शामिल है। अब जब महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को नाइक-वादी सरकार आसानी से माफ कर दिया करेगी, तो देश को महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने वाले बोझिल कानूनों से सहज ही मुक्ति मिल जाएगी! आप करते होंगे स्त्रा के वस्तुकरण का विरोध, नाइक तो आधुनिकाओं को पब्लिक प्रॉपर्टी घोषित करता फिर रहा है! ज़रूर बहुत सारी स्वाभिमानी पाकिस्तानी लड़कियाँ उसका मुँह नोंच लेने को मचल रही होंगी, लेकिन घर आए सरकारी मेहमान के साथ ऐसा बर्ताव करें भी तो कैसे! पता नहीं, वे कैसे बर्दाश्त कर पा रही होंगी कि एक बदज़बान मरदुआ उनकी उम्मीदों, सपनों और स्वायत्तता पर ही पानी नहीं फेरता फिर रहा, बल्कि उन्हें सामान्य मनोरंजन के लिए सभी के लिए उपलब्ध बाज़ारी औरत कहकर अपमानित कर रहा है!
कोई पूछ सकता है, लेकिन उन महिलाओं का क्या, जो न्याय के इस महान पुनर्वितरण के लिए सहमति नहीं देतीं? तो जान लें कि शातिर खलनायक ने हर चीज़ के बारे में सोचा है। अगर महिलाएँ अविवाहित रहना चाहती हैं और बिना किसी पुरुष की निगरानी के बाज़ारों में घूमना जारी रखना चाहती हैं, तो उन्हें केवल यह याद दिलाने की ज़रूरत है कि सार्वजनिक संपत्ति के रूप में उनकी स्थिति प्रकृति और धार्मिक सिद्धांत द्वारा निर्धारित है! यानी, इस नाइकवादी नए पाकिस्तान में अविवाहित महिलाओं को स्वचालित रूप से वेश्या मान लिया जाएगा! पूछा जाना चाहिए कि क्या इस नाइक-वादी मॉडल को पाकिस्तान सरकार का समर्थन प्राप्त है? शायद हाँ!