एनीमेशन क्रांति की ओर नया भारत
मन की बात के नवीनतम अंक में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उभरते भारतीय एनीमेशन उद्योग पर प्रकाश डाला तथा देश से वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने के लिए इसकी क्षमता का दोहन करने का आग्रह किया। यह प्रशंसा न केवल रचनात्मक क्षेत्र के प्रति सरकार की मान्यता को दर्शाती है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य के लिए व्यापक निहितार्थों का भी संकेत देती है।
एनीमेशन केवल मनोरंजन का एक रूप नहीं है; यह रचनात्मकता, नवाचार और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण चालक है। वैश्विक एनीमेशन बाजार के 2028 तक 400 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। अगर हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक कथाओं और विविध प्रतिभा पूल का लाभ उठाते हैं, तो इसमें भारत का हिस्सा तेजी से बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री द्वारा छोटा भीम जैसे लोकप्रिय पात्रों का उल्लेख इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे घरेलू कहानियाँ न केवल घरेलू स्तर पर गूँज सकती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को भी आकर्षित कर सकती हैं।
भारतीय एनीमेशन को मान्यता देकर, प्रधानमंत्री मोदी एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की वकालत कर रहे हैं, जो वैश्विक पहुँच को प्रोत्साहित करते हुए स्थानीय कथाओं पर जोर देता है। एनीमेटेड सीरीज़ और फिल्मों की सफलता ने साबित कर दिया है कि भारतीय कहानियाँ दुनिया भर के दर्शकों को आकर्षित कर सकती हैं। हालाँकि, वास्तव में वैश्विक एनीमेशन पावरहाउस बनने के लिए, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा।
सबसे पहले, बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देना अपरिहार्य है। एनीमेशन उद्योग को अत्याधुनिक स्टूडियो, उन्नत तकनीक और कुशल पेशेवरों की ज़रूरत है। बेशक, हमारे पास एनीमेटरों को प्रशिक्षित करने वाले संस्थान हैं। ज़रूरत है कि सरकार, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक सहयोगी प्रयास से इनके मानकों को बढ़ाया जाए। प्रतिभा पूल को भी व्यापक बनाना होगा। वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए कार्यबल तैयार करने हेतु एनीमेशन, कहानी कहने और डिजिटल कला में अधिक व्यापक प्रशिक्षण कार्पाम चलाने होंगे।
इसी तरह, नवाचार को बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी है। स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करना और अनुदान व प्रोत्साहन के माध्यम से स्थापित कंपनियों का समर्थन करना रचनात्मकता को प्रोत्साहित कर सकता है। सरकार एक ऐसे इको तंत्र को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जो नए विचारों को पनपने का मौका दे। एनीमेशन हब और इनक्यूबेटर स्थापित करके, भारत अपनी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाने वाली नवीन सामग्री के लिए एक प्रजनन स्थल बन सकता है।
इसके अलावा, भारतीय गेमिंग पर प्रधानमंत्री का जोर एनीमेशन के साथ भी जुड़ता है, जिससे ाढास-इंडस्ट्री सहयोग के लिए दरवाजे खुलते हैं। गेमिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें एनीमेशन एक मुख्य घटक है। इन क्षेत्रों के बीच तालमेल को प्रोत्साहित करके, भारत अपने डिजिटल मनोरंजन की पेशकश को बढ़ा सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय निवेश और साझेदारी की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
एक और महत्वपूर्ण पहलू अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय एनिमेशन को बढ़ावा देने से संबंधित है। त्योहार, व्यापार शो और डिजिटल प्लेट़फॉर्म ऐसे माध्यम हैं, जहाँ भारतीय सामग्री प्रदर्शित की जा सकती है। सरकार और उद्योग, दोनों को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि भारतीय एनीमेशन स़िर्फ स्थानीय दर्शकों तक ही सीमित न रहें, बल्कि वैश्विक दर्शकों के लिए भी उनकी प्रभावी मार्केटिंग की जाए। कहानी कहने के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान की क्षमता भारत की सॉफ्ट पावर को खूब भली प्रकार बढ़ा सकती है।
यही नहीं, भारत की विविधता को दर्शाने वाले आख्यानों की बहुत आवश्यकता है। एनीमेशन क्षेत्र क्षेत्रीय कहानियों, परंपराओं और भाषाओं को चित्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके और इसे वैश्विक दर्शकों के लिए सुलभ बनाया जा सके।ऐसी दुनिया में, जहाँ विविधतापूर्ण प्रतिनिधित्व का महत्व लगातार बढ़ रहा है, भारतीय एनीमेशन संस्कृतियों को जोड़ने वाले पुल का काम कर सकते हैं। साथ ही, शैक्षिक पाठ्पाम में एनीमेशन को शामिल करके बच्चों के सीखने की प्रािढया को अधिक दिलचस्प बनाया सकता है। यह दृष्टिकोण कम उम्र से ही रचनात्मकता को बढ़ावा दे सकता है, कहानीकारों और एनीमेटरों की अगली पीढ़ी का पोषण कर सकता है, जो भारत की समृद्ध कथा परंपरा को आगे बढ़ाएँगे।