राज्यसभा सभापति धनखड़ को हटाने नोटिस, विपक्ष का पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप
नई दिल्ली, विपक्षी गबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों ने मंगलवार को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाते हुए उन्हें उप-राष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस सौंपा। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने के कारण यह कदम उाना पड़ा है। सदन में यदि इस प्रस्ताव को लाने की अनुमति मिलती है, तो विपक्षी दलों को इसे पारित कराने के लिए साधारण बहुमत की जरूरत होगी, लेकिन फिलहाल उनके पास संख्या बल नहीं है। वर्तमान समय में राज्यसभा में कुल 243 सदस्य हैं और इसमें सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गबंधन (राजग) के पास बहुमत है।विपक्ष ने इस बात पर जोर दिया है कि उसके इस कदम के पीछे संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ने का एक मजबूत संदेश है। संविधान के अनुच्छेद-67 में उप-राष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं।
संविधान के अनुच्छेद-67(बी) में कहा गया है, उप-राष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उनके पद से हटाया जा सकता है, लेकिन कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कम से कम 14 दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है।
नोटिस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कुछ अन्य विपक्षी दलों के 60 नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, द्रमुक नेता तिरुची शिवा और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन के हस्ताक्षर इस नोटिस पर नहीं हैं।
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, राज्यसभा में कांग्रेस के उप-नेता प्रमोद तिवारी, मुख्य सचेतक जयराम रमेश, वरिष् नेता राजीव शुक्ला तथा कई अन्य वरिष् सदस्यों ने धनखड़ के खिलाफ दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी दलों द्वारा सभापति धनखड़ के विरुद्ध यह कदम ऐसे समय में उाया जा रहा है, जब लोकसभा एवं राज्यसभा, दोनों सदनों में सत्ता पक्ष ने अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरोस के मुद्दे पर कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व पर हमला तेज कर दिया है।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इंडिया गबंधन के सभी घटक दलों ने एकजुट होकर सर्वसम्मति से राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि माननीय सभापति, बहुत विद्वान हैं, जाने-माने संवैधानिक वकील हैं, राज्यपाल रहे हैं, बहुत वरिष् व्यक्ति हैं, जिनका हम सम्मान करते हैं…, लेकिन हमें यह करने के लिए विवश होना पड़ा है। हमें बहुत दुःख के साथ और भारी मन से यह कदम उाना पड़ा है। यह राज्यसभा के 72 साल के इतिहास में पहली बार है कि किसी सभापति के खिलाफ प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया गया है। रमेश ने दावा किया कि धनखड़, जिस तरह से सदन का संचालन करते हैं उससे स्पष्ट दिखता है कि उनका रवैया पक्षपातपूर्ण है। क्रिकेट मैच की शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए रमेश का कहना था, वह एक अंपायर की भूमिका में हैं और एक अंपायर पक्षपात नहीं करता है…, लेकिन यहाँ अंपायर ही पक्षपात ही कर रहा है। कांग्रेस के वरिष् नेता ने आरोप लगाया, सभापति नेता प्रतिपक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) की बात नहीं सुन रहे हैं, वह सत्तापक्ष के सांसदों को हमारे सबसे वरिष् नेताओं के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा में आरोप लगाने की इजाजत दे रहे हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। इससे पहले, रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया गबंधन के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने संसद परिसर में संवाददाताओं को बताया कि करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस राज्यसभा सभापति के सचिवालय को दिया गया है। टीएमसी सांसद और राज्यसभा में इसकी उप-नेता सागरिका घोष ने स्वीकार किया कि विपक्ष के पास प्रस्ताव पारित करवाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है।(भाषा)