अंबेडकर विश्वविद्यालय कुलपति की नियुक्ति पर प्रतियाचिका दायर करने का आदेश

हैदराबाद, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर प्रतियाचिका दायर करने के राज्य सरकार, यूजीसी और कुलपति के रूप में नियुक्त डॉ. चक्रपाणी को नोटिस जारी की। गौरतलब है कि हनमकोंडा निवासी पूर्व असोसिएट प्रोफेसर डॉ. बी. कुमार स्वामी ने चक्रपाणी की नियुक्ति को अयोग्य बताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस याचिका पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस के. लक्ष्मण ने आज पुन एक बार सुनवाई की। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी राज्य सरकार के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समेत चक्रपाणी को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई 11 फरवरी तक स्थगित कर दी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने दलील देते हुए चक्रपाणी की नियुक्ति के संबंध में गत 6 दिसंबर, 2024 को जारी सरकारी आदेश को रद्द करने का आग्रह किया और बताया कि चक्रपाणी की नियुक्ति यूजीसी नियमों के विरुद्ध है। संविधान के अनुच्छेद-319(बी) के अनुसार, चक्रपाणी कुलपति बनने के योग्य नहीं है। इसके संबंध में उन्होंने गंभीरन के. गादवी बनाम गुजरात के एक मामले का उल्लेख किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने यूजीसी नियमों के विरुद्ध नियुक्ति होने पर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए थे। इतना ही नहीं, नियुक्ति संबंधी समिति में सदस्यों की नियुक्ति भी नियमों के अनुसार नहीं है। नियमों के अनुसार, कुलपति की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय में 10 वर्ष प्रोफेसर के रूप में रहते हुए रिसर्च विंग में अनुभव होना चाहिए, लेकिन इसके विरुद्ध चक्रपाणी की नियुक्ति की गई। वर्ष 2014 से 2020 तक तेलंगाना पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद चक्रपाणी ने प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और प्रोफेसर के रूप में उनका कार्यकाल केवल 8 वर्ष का ही रहा। उनकी आयु 60 वर्ष भी पार कर चुकी है।