उस्मानिया विश्वविद्यालय का 84वाँ दीक्षांत समारोह आयोजित
हैदराबाद, उस्मानिया विश्वविद्यालय का 84वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को टैगोर ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। अवसर पर 1,261 पीएचडी तथा शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदकों सहित विभिन्न डिग्रियां प्रदान की गईं। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक डॉ. वी. नारायणन को अपनी 50वीं मानद डॉक्टरेट (डी.एससी) की उपाधि से सम्मानित गया।





तेलंगाना के राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जिष्णु देव वर्मा ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि डिग्री न केवल अकादमिक सफलता का प्रतीक है, बल्कि समाधान खोजने के लिए आवश्यक बौद्धिक दृढ़ता और आलोचनात्मक सोच का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह दीक्षांत समारोह केवल एक अनुष्ठान या औपचारिकता से कहीं अधिक है। यह एक गहन संस्कार है, जो वर्षों के समर्पण तथा प्रतिबद्धता का प्रमाण है। वास्तव में शिक्षित वे नहीं हैं जो केवल समस्याओं की पहचान करते हैं, बल्कि वे हैं जो समाज की गंभीर चुनौतियों का सार्थक समाधान खोजते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उस्मानिया विश्वविद्यालय शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की विरासत है, जो इसकी एनएएसी ए ग्रेड मान्यता और लगातार संवर्धित होती राष्ट्रीय रैंकिंग में परिलक्षित है। हमारा राष्ट्र आज शिक्षा के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी युग की दहलीज पर खड़ा है। हम दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाते हुए रटंत विद्या की औपनिवेशिक मानसिकता से दूर जा रहे हैं। हमें अपनी समृद्ध भारतीय विरासत या अपनी मातृभाषा के गहन मूल्य से कभी भी विमुख नहीं होना चाहिए। सच्ची शिक्षा तब सबसे गहराई से प्रतिध्वनित होती है जब वह किसी के सांस्कृतिक संदर्भ में निहित हो और ऐसी भाषा में व्यक्त की जाए जो समझ को पोषित करे। चीन, लैटिन अमेरिका और यूरोप जैसे देश शिक्षा में मातृभाषाओं को बढ़ावा देते हैं। हमें भी यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने के बारे में न हो, बल्कि वास्तविक समझ को प्रोत्साहन देने, पहचान को पोषित करने और समावेशी विकास को सक्षम बनाने के बारे में हो।
दीक्षांत समारोह जीवन के सबसे सुखद अवसरों में से एक
डॉ. वी. नारायणन ने अपने संबोधन में कहा कि होता है। अवसर पर स्वामी विवेकानंद के संदेश उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए को आत्मसात करते हुए अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होना चाहिए। देश के प्रगति में योगदान हेतु छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि हम सभी इस समय बहुत उत्साहित हैं क्योंकि हमारे अंतरिक्ष यात्री, शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचने और पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस उतरने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। मुझे इस एक्सिओम मिशन से बड़े पैमाने पर जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अब हम अपने मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान की ओर बहुत जल्द बढ़ रहे हैं।आज़ादी के बाद से भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है।
डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि आज़ादी के समय भारत की जीडीपी 2.7 लाख करोड़ रुपये थी। अब यह 135.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गई है। बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, 2031 तक हमारे पास तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। हमारा लक्ष्य इस दशक के अंत तक 300 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाना है। राष्ट्र के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वे मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने के लिए वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और प्रबंधन के आभारी हैं। उन्होंने यह सम्मान इसरो/अंतरिक्ष विभाग के उन 20,000 कर्मचारियों की ओर से विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया, जिन्होंने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम और राष्ट्र के विकास में सफलतापूर्वक योगदान दिया है।
उस्मानिया विश्वविद्यालय हमेशा से ही प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक
कुलपति प्रो. कुमार मोलुगरम ने कहा कि उस्मानिया विश्वविद्यालय हमेशा से ही प्रगति और संभावनाओं का प्रतीक रहा है, जिसने विविधतापूर्ण और समावेशी सांस्कृति को अपनाया है। गर्व का विषय है कि हमारे वर्तमान छात्रों में से लगऊग 64 प्रतिशत छात्राएँ हैं।हाल के दिनों में, हमने भविष्य-तैयार शिक्षा को सक्रिय रूप से अपनाया है। हमारे यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने एआई, एमएल, चिप डेवलपमेंट, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, डेटा एनालिटिक्स आदि जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में छात्रों के कौशल विकास के लिए साझेदारियाँ की हैं। उस्मानिया टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर व्यावहारिक नवाचारों को बढ़ावा दे रहा है और दस स्टार्टअप सफलतापूर्वक इनक्यूबेट किए गए हैं।
प्रो. मोलुगरम ने कहा कि उस्मानिया विश्वविद्यालय अब वैश्विक तकनीकी विकास में अग्रणी स्थान पर है। उस्मानिया विश्वविद्यालय ने भारत के राज्य-स्तरीय विश्वविद्यालयों के इतिहास में पहली बार एक स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप विकसित करके एक राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया है।शैक्षणिक और तकनीकी प्रगति के अलावा, उस्मानिया विश्वविद्यालय नागरिक उत्तरदायित्व को प्रोत्साहित करने और हमारे राष्ट्र की विरासत की समृद्ध समझ को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका को अत्यधिक महत्व दे रहा है। अवसर पर उन्होंने डिग्री हासिल करने वाले छात्रों से विश्वविद्यालय में सीखे गए मूल्यों को याद रखते नैतिक मानकों का पालन करते हुए उत्तरदायी नागरिक बनने का आह्वान किया।
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छात्रों को प्रदान किए गए स्वर्ण पदक व डिग्रियां
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 और 2023-2024 के लिए विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन करने वाले छात्रों को उपलब्धियों को मान्यता देते हुए 121 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।अवसर पर युद्धवीर फाउंडेशन स्वर्ण पदक एमसीजे चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा के.चिरवासिनी को प्रदान किया गया।इस वर्ष कुछ नए पुरस्कारों को भी प्रदान किया गया।जिसमें राज्यपाल की एक पहल पर आदिवासी छात्र को अंग्रेजी में सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस के लिए स्वर्ण पदक तथाआईएएस अधिकारी श्री देवसेना द्वरा एमबीए फाइनेंस में सर्वोत्त्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र के लिए प्रो. समुद्रला सत्यनारायण मूर्ति मेमोरियल स्वर्ण पदक शामिल था। हिन्दी विभाग से पीएचडी के उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ. शेख अफरोज एवं डॉ. अंशु सोनी को भी प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
अवसर पर उस्मानिया विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार प्रो. जी. नरेश रेड्डी तथा परीक्षा नियंत्रक प्रो. शशिकांत सहित विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद के विशिष्ट सदस्य, डीन, निदेशक, विभाग प्रमुख, प्राचार्य, संकाय सदस्य, गैर-शिक्षण कर्मचारी तथा पूर्व छात्रों सहित अन्य उपस्थित थे।
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